चंडीगढ़ कोर्ट में तलाक के मामले में एक आैर दो रुपए के सिक्के में गुजारा भत्ता दिया, जिसे गिनते गिनते महिला थक गर्इ।
•Jul 26, 2018 / 04:44 pm•
Saurabh Sharma
कोर्ट में महिला पैसे गिनते-गिनते थक गर्इ आैर ने स्थगित कर दी कार्रवार्इ
नर्इ दिल्ली। देश की अदालतों में इतिहास बनते हैं। कहानियां बनती है। एेसे किस्से घट जाते हैं जिन्हें दुनिया सालों का तक याद रखती है। एेसा ही एक मामला चंडीगढ़ कोर्ट में सामने आया है। जहां एक महिला कोर्ट पैसे गिनते-गिनते थक गर्इ आैर परेशान हो गर्इ। लेकिन पूरे पैसे नहीं गिन पार्इ। कोर्ट का समय खत्म हो गया आैर कार्रवार्इ को स्थगित करना पड़ा। आइए आपको भी बताते हैं पूरा मामला…
चंडीगढ़ की कोर्ट का है मामला
मामला चंडीगढ़ कोर्ठ हैै। जहां तलाक का केस चल रहा था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पति को अपनी पत्नी को 25 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने को कहा। पति ने गुजारा भत्ता देने में कोर्इ कोताही नहीं बरती। कोर्ट का आदेश मानते हुए गुजारे भत्ते के रूप में 25 हजार रुपए की राशि लेकर आया है। जिसमें से 100-100 रुपए के 4 नोट थे। बाकी राशि 24600 रुपए एक आैर 2 रुपए के सिक्के के रूप में थी। सारे सिक्के पति बोरे में भरकर लेकर आया था। जब पत्नी उन सिक्कों को गिनने के लिए बैठी तो इतना परेशान हो गर्इ कि उसने अपवने पति पर प्रताड़ना का आरोप लगाया। सिक्के गिनने में पूरा दिन निकल गया, लेकिन गिनती पूरी नहीं हो सकी। कोर्ट का समय खत्म होने के बाद आदालत ने कार्रवार्इ स्थगित कर दी।
2015 से चल रहा है तलाक का मामला
पति-पत्नी के बीच तलाक का मामला 2015 से चल रहा है। पति पंजाब एवं हरियाणा हार्इकोर्ट में वकील है। जब तलाक का मामला तय हुआ तो कोर्ट ने वकील पति से हर महीने 25 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। जब पति ने गुजारा भत्ता नहीं दिया तो पत्नी ने कोर्ट में एक बार फिर से अपील की। वकील पति ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वो इतनी बड़ी रकम एकमुश्त नहीं दे सकता है। पत्नी ने विरोध करते हुए कहा कि उसका पति पेशे से वकील है। उनकी हर महीने अच्छी आमदनी होती है। उनके नाम पर कर्इ प्राॅपर्टी भी है। जिसके बाद कोर्ट ने एक साथ दो महीने का भत्ता एक साथ देने का आदेश दिया।
वकील पति ने किया फिर यह कारनामा
वकील पति ने पहले कोर्ट में 25 हजार रुपए जमा कराए। लेकिन रुपए जमा कराने का तरीका पूरी तरह से अलग था। वकील पति ने 25 हजार रुपए की रकम में चार नोट 100 रुपए के लिए बाकी रुपयों को एक आैर दो सिक्कों में दिए। जोकि बोरे में भरकर लाया था। जिसे देखकर पत्नी परेशान हो गर्इ। पत्नी ने आरोप लगाया कि उसे रुपयों की आवश्यकता है। इन सिक्कों को कोर्इ बैंक लेगा। जिसके जवाब में पति ने कहा कि उसकी आेर से कोर्इ गलती नहीं की गर्इ है। क्योंकि कोर्ट के आदेश में कहीं नहीं लिखा गया था कि गुजारा भत्ता 100, 500 आैर 2000 रुपए के नोट में देना अनिवार्य है। इस मामले की अगली सुनवार्इ 27 जुलाई को होगी।
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