आज रात ऐसे खोले करवा चौथ का व्रत, मनचाही मुराद हो जाएगी पूरी
एक प्राचीन कथा के अनुसार एक बार महालक्ष्मी जी कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन यानी की दीपावली पर्व के दिन पृथ्वीलोक में अपने प्रिय भक्तों के घर आशीर्वाद देने के लिए स्वर्ग लोक से आई.. माता लक्ष्मी इधर से उधर, एक भक्त के घर से दूसरे भक्त के घर, फिर तीसरे फिर चौथे, बारी-बारी सभी भक्तों के घर जा रही थी और सभी भक्त के ऊपर अपने आशीर्वाद की वर्षा करते जा रही थी। भक्त भी बड़े तन, मन और धन से मां लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना में लीन थे। श्रद्धा पूर्वक माता महालक्ष्मी जी की वंदना व आरती गाई जा रही थी, मां लक्ष्मी जी भी खुश होकर धन धान्य पूर्ति का आशीर्वाद दे रही थी।
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माता लक्ष्मी ने दिया था उल्लू को यह आशीर्वाद
भक्तों द्वारा माता लक्ष्मी जी की इस प्रकार पूजा अर्चना होते देख माता के वाहन उल्लू पक्षी को बहुत दुख हुआ और उल्लू के मन में विचार आया की वह स्वयं माता महालक्ष्मी जी का वाहन है फिर भी उसे कोई पूछता तक नहीं। दुखी मन उल्लू ने माता लक्ष्मी कहा हे माता आपकी पूजा सब करते हैं और मैं आपका वाहन होने के बाद भी दुत्कारा जाता हूं, मेरी इस पीड़ा का समाधान करे। माता महालक्ष्मी जी सारी बात समझ गई, बोली हे पुत्र आज मै तुझे यह वरदान देती हूं की आज के बाद हर साल मेरी पूजा यानी की दीपावली से ठीक 11 दिन पहले तुम्हारी भी पूजा होगी, और जो कोई तुम्हारी पूजा करेगा वर भक्त मेरी कृपा का अधिकारी हो जायेगा।
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करवा चौथ को करना चाहिए उल्लू पक्षी की पूजा
माता लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद के बाद से ही हर साल दीपावली से ठीक 11 दिन पहले कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि यानी ‘करवा चौथ’ के दिन माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू पक्षी की पूजा भी जाने लगी। ऐसी मान्यता है कि अगर उल्लू प्रसन्न हो जाये तो माता लक्ष्मी से मिलाने का कार्य उल्लू शीघ्र कर देता है। आज के जमाने में उल्लू तो आसानी से मिलते नहीं इसलिए उल्लू के प्रतीक के रूप में पूजा स्थल पर एक पूजा सुपारी स्थापित कर उसका पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न हो जाती है।
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