उन्होंने कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से रथयात्रा निकाली और नरेन्द्र मोदी रथ में बैठ गये। तब भी नहीं कहा कोर्ट की राह देखो। कोर्ट से मंदिर बनवाना था, तो आडवाणी जी को सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या यात्रा निकालनी थी। कार सेवा करवाई। यदि कोर्ट से मंदिर बनवाना था, तो कोठारी बंधुओं को मरवाया क्यों। गोधरा के रेलवे स्टेशन पर 59 राम भक्तों को मरवाया क्यों। आठ करोड़ हिंदुओं से सवा सवा रुपये लिया क्यों और 30 करोड़ हिंदुओं से शिला पूजन करवाया क्यों। लाखों हिंदुओं को कार सेवा के लिए बुलाया क्यों। कोर्ट से मंदिर बनवाना था, तो ये सब करने की जरूरत ही नहीं थी।
उन्होंने कहा कि तब तो ये वायदा किया था कि मुलायम सिंह यादव की सरकार, राजीव गांधी की सरकार संसद में राम मंदिर के कानून नहीं बनाती है। आंदोलन करो गोलियों खाओ, अबकी आंदोलन करो, भाजपा की सरकार लाओ, हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार आयेगी, तो संसद में राम मंदिर का कानून बनायेगी और पूर्ण बहुमत की सरकार आई, तो एससी एसटी कानून की बात आती है, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं, कि कोर्ट नहीं संसद निर्णय करेगी और राम मंदिर की बात आती है, तो प्रधानमंत्री कहते हैं, कि संसद नहीं कोर्ट तय करेगा, ये वायदा खिलाफी है, नरेन्द्र मोदी की।