देश में अलग-अलग है मानदेय यहां बता दें कि देश भर में अलग-अलग राज्यों में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मानदेय अलग-अलग है। इसको लेकर वे लगातार आंदोलन कर रहीं हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले 8 से 10 सालों से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मानदेय 3000 रुपये था, जिसे योगी सरकार ने इसी साल अप्रैल में बढ़ाकर 4 हजार कर दिया था। जबकि इनकी मांग काम के मुताबिक न्यूनतम 18 हजार रुपये व राज्य कर्मचारियों की तरह अन्य भत्तों की थी। फिलहाल अब पीएम मोदी के ऐलान के बाद सूबे में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को महज 500 रुपए का ही फायदा होगा, क्योंकि जो 1500 रुपए बढ़ाए गए हैं, वे 3 हजार के सापेक्ष बढ़ाए गए हैं, जो अधिकतम 4500 रुपए हैं।
सूबे में तीन लाख से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां व सहायिकाएं संयुक्त कर्मचारी यूनियन के संयोजक हरकिशोर सिंह का कहना है कि प्रदेश में साढ़े तीन लाख से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां व सहायिकाएं हैं, जो स्वास्थ्य विभाग की टीकाकरण, पोषण, बीएलओ, पोलियो अभियान, आयुष्मान योजना व अन्य सरकारी योजनाओं का बीड़ा उठाए हैं। इस वजह से वे काम के अनुरूप वेतन की लगातार मांग कर रही हैं।
इस राज्य में है सबसे ज्यादा सैलरी उनका कहना है कि सिर्फ पुडुचेरी में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को राज्य कर्मचारी का दर्जा मिला हुआ है। उनके वेतन व अन्य भत्ते भी उसी प्रकार हैं। उसके बाद सबसे अधिक मानदेय हरियाणा में 11800 रुपए और सहायिका को 10800 रुपये मिल रहे हैं। सबसे कम मानदेय देने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश और बिहार हैं, जबकि जनसंख्या और काम का बोझ इन राज्यों में सबसे ज्यादा है।