उन्होंने कहा कि लगातार पांच साल से अमरीका में छात्र वीजा पाने वालों की संख्या में पांच फीसदी से अधिक की दर से इजाफा हो रहा है और विगत 10 वर्षों में दोगुनी हो गई है। उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2017-18 में अमरीका आने वाले भारतीय स्टुडेंट्स की संख्या एक लाख 96 हजार 271 रही, जबकि वर्ष 2016-17 में छात्र वीजा पाने वाले भारतीयों की संख्या एक लाख 86 हजार 267 थी। अमरीका आने वाले भारतीय छात्रों में से 73 प्रतिशत छात्र गणित, कंप्यूटर विज्ञान अथवा इंजीनियरिंग में प्रवेश लेते हैं। दस प्रतिशत स्टुडेंट्स मैनेजमेंट या बिजनेस, जबकि आठ प्रतिशत छात्र चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रवेश लेते हैं।
उन्होंने रिपोर्ट के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि अमरीका में पढऩे वाले विदेशी छात्रों की संख्या में गत वर्ष 1.5 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है। अंतरराष्ट्रीय छात्रों में भारतीय छात्र लगातार दूसरे स्थान पर बने हुए हैं। चीनी छात्र नंबर एक पर हैं। तीसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया है, लेकिन दक्षिण कोरियाई छात्रों की संख्या में सात फीसदी की गिरावट आई है।
उन्होंने बताया कि भारत में पढऩे आने वाले अमरीकी छात्रों की संख्या वर्ष 2016-17 के 4191 की तुलना में वर्ष 2017-18 में 4704 हो गई है। पोम्पर ने राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि राष्ट्रपति का मानना है कि छात्र वीसा का आशय शिक्षा प्राप्त करना है, रो•ागार प्राप्त करना नहीं है। रोजगार के लिए अलग से वीजा प्रक्रिया होनी चाहिए। इसमें शिक्षा के लिए आने वाले विद्यार्थियों पर रोक नहीं लगती है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अमरीकी छात्र वीजा प्राप्त करने के लिए अमरीका के सात केन्द्रों में से किसी एक से संपर्क करना चाहिए। अमरीकी दूतावास ने इस साल भारत में 10 विश्वविद्यालयों में शिक्षा मेले आयोजित किए हैं जिनमें वीजा प्रणाली के बारे में भी जानकारी दी गई। जल्द ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐप के माध्यम से छात्रों को सहायता सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि अमरीकी दूतावास ने किसी भी तरह के एजेंटों को कोई मान्यता नहीं दी है और छात्रों को वीजा दिलाने में मदद करने का दावा करने वाले एजेंटों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। बल्कि सीधे अमरीका भारत शैक्षणिक प्रतिष्ठान के दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूरु, हैदराबाद एवं अहमदाबाद स्थित सात कार्यालयों से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर आने वाली इस प्रकार की शिकायतों को लेकर उनकी भारत के विदेश मंत्रालय से निरंतर बातचीत हो रही है। चूंकि अवैध एजेंटों पर कार्रवाई भारत का आंतरिक विषय है, इसलिए भारत सरकार ही इस बारे में कोई कदम उठा सकती है।