शिक्षा का अधिकार कानून के तहत स्कूल में किसी भी बच्चे को सजा नहीं दी जा सकती। आरोपी के लिए सजा का उल्लेख तो नहीं है लेकिन अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है। वहीं, किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख व संरक्षण) अधिनियम के सेक्शन 75 के तहत बच्चों पर क्रूरता (शारीरिक या मानसिक दण्ड या उपेक्षा करने), जिससे बच्चे को शारीरिक या मानसिक क्षति पहुंचे, ऐसे मामले में ३ साल की सजा, गैर जमानती वारंट व एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
10 साल सजा, 5 लाख जुर्माने का प्रावधान सजा से बच्चा शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम हो जाए और अपना काम नहीं कर पाए तो १० साल की सजा व ५ लाख रु. जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन अधिनियम के तहत कार्यवाही नहीं की जा रही है।
पिछले दिनों ये मामले आए सामने केस- 1 : गांधीपथ स्थित निम्फ एकेडमी स्कूल में पिछले दिनों एक बच्चे को बाल नहीं काटने पर चोटी बनाकर पूरे स्कूल में घुमाने का मामला सामने आया था। घटना स्कूल के सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई। बच्चा इतना सहम गया कि स्कूल जाना बंद कर दिया। परिजनों की शिकायत पर शिक्षा विभाग ने जांच की तो स्कूल ने
बताया कि संबंधित शिक्षक को निकाल दिया गया है। फिर शिक्षा विभाग ने मामले की फाइल बंद कर दी।
केस- 2 : निवारू रोड स्थित सेंट टेरेसा स्कूल में पहली कक्षा के बच्चे को कक्षा में कपड़े उतारने की सजा देने का मामला सामने आया। स्कूल में सुनवाई नहीं होने पर थाने में शिकायत दी गई, जिसे लेकर पुलिस जांच कर रही है। लेकिन शिक्षा विभाग ने जांच तक नहीं बैठाई है।
स्कूलों में कॉरपोरल (शारीरिक व मानसिक) सजा प्रतिबंधित है। अभी अधिकारी कम हैं। नए सिस्टम से स्कूलों की बेहतर मॉनिटरिंग हो सकेगी। सुरेश जैन, जिला शिक्षा अधिकारी, जयपुर