उल्लेखनीय है कि पिछले महीने AICTE ने नेशनल रिसर्च एंड इनोवेशन पॉलिसी फ्रेम की थी, इसके तहत ही इंजीनियरिंग कॉलेजों और टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स को दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि स्टार्टअप शुरू करने वाले स्टूडेंट एंटरपे्रन्योर्स की अटेंडेंस कम होने पर भी उन्हें एग्जाम में बैठने दिया जाए। एआइसीटीई पिछले कुछ समय से रिसर्च और इनोवेशन पर फोकस कर रहा है। इससे स्टूडेंट्स इनोवेशन और रिसर्च फील्ड के प्रति और अधिक अटै्रक्ट होंगे।
जॉब सीकर्स की बजाए जॉब क्रिएटर्स
AICTE ने यह भी कहा है कि कॉलेज स्टूडेंट एंटरपे्रन्योर्स को कैम्पस में फैसिलिटी देने के साथ ही उन्हें स्टार्टअप पर काम करने के लिए सेमेस्टर ब्रेक की परमिशन भी दें। पूर्णिमा कॉलेज और इंजीनियरिंग के डायरेक्टर राहुल सिंह के अनुसार AICTE का मोटो स्टूडेंट्स को जॉब सीकर्स बनाने की बजाए जॉब क्रिएटर्स बनाने पर है। कॉलेज की कमेटी स्टूडेंट्स के स्टार्टअप को एग्जामिन करके उन्हें सेमेस्टर ब्रेक करने की परमिशन देगी।
को-करिकुलम एक्टिविटीज को बढ़ावा
टेक्निकल एजुकेशन एक्सपर्ट प्रो. पुनीत शर्मा ने बताया कि एआइसीटीई पिछले एक साल से ऐसे इनिशिएटिव पर खासतौर से लगातार काम कर रहा है। इसके तहत को-करिकुलम एक्टिविटीज को क्लासरूम स्टडी का पार्ट बनाया जा रहा है। इससे इंडस्ट्री की डिमांड के अकॉर्डिंग टैलेंट तैयार होगा। आने वाले दिनों में ग्लोबल रिसर्च इंडेक्स में इंडिया की पॉजिशन में इम्प्रूवमेंट देखने को मिलेगा।