1.भगवान गणेश का स्थान प्रथम पूजनीय देवताओं में है और यह वरदान उन्हे उनके पिता और सृष्टि को चरने वाले भगवान भोले नाथ द्वारा दिया गया। 2.भगवान शंकर का वह वरदान आज भी सिद्ध है और प्रत्येक शुभ कार्य से पूर्व भगवान गणेश का स्मरण करने से वह काम अवश्य ही बिना किसी विघ्न से ज़रूर होता है।
3.गणेश जी को बुद्धि के दाता कहा जाता है क्योंकि उन्होने अपनी बुद्धि कौशल का परिचय देते हुए कितने ही राक्षसों और दानवों का संहार कर पृथ्वी को उनके अत्याचार से बचाने का काम किया है।
4.गणेश जी के जिस मंत्र के बारे में आज हम बात कर रहे हैं वह मंत्र सुख समृद्धि का प्रदाता मंत्र माना जाता है और इसे पढ़ने से घर धन धान्य से भर जाता है।
5.गणेश जी वह शक्तिशाली और प्रभावी मंत्र इस प्रकार है – ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्। 6.गणेश जी के इस मंत्र का कम से कम 108 बार माला से जाप करना लाभकारी रहता है और गणेश जी सदैव अपनी शुभ दृष्टि आपके ऊपर बनाए रखते हैं।
7.गणेश जी के इस मंत्र का जाप करने से आपके शत्रु कभी भी आपके ऊपर हावी नहीं हो पाते और गणेश जी की कृपा से निरंतर सफलता मिलती है। 8.इस गणेश मंत्र का जाप रोज़ाना करने से और खासतौर पर बुधवार के दिन करने से आप गणेश जी के प्रिय बन सकते हैं और धन धान्य से परिपूर्ण हो सकते हैं।
9.गणेश जी का यह मंत्र पढ़ने से सारे बिगड़े काम बनने शुरू हो जाते हैं और आपको मन की शांति का विशेष अनुभव होता है। 10.इस मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति से विपदा आपके कोसों दूर रहती हैं और उसका कभी अहित हो ही नहीं सकता है।