नगर निगम में नियमित, संविदा, प्लेसमेंट व सफाई कर्मियों को मिलाकर करीब 1200 अधिकारी-कर्मचारी सेवारत हैं। इन्हें वेतन भुगतान के लिए हर माह करीब 3 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ती है। जानकारी के मुताबिक नगर निगम प्रशासन द्वारा टैक्स से प्राप्त राशि से अधिकारियों व कर्मचारियों को वेतन भुगतान किया जाता है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद राजस्व वसूली की गति धीमा पड़ गई है। निगम के पास भुगतान के लिए पर्याप्त राशि जमा नहीं हो पा रही है। लिहाजा कर्मियों को वेतन भुगतान में दिक्कत हो रही है।
7 को भुगतान का है नियम
राज्य शासन द्वारा कर्मियों को हर माह अधिकतम 7 तारीख तक वेतन भुगतान का नियम बनाया गया है, लेकिन निगम प्रशासन द्वारा इस नियम की भी अनदेखी की जा रही है। मई से अब तक किसी भी माह 7 तारीख तक वेतन भुगतान नहीं हुआ है। हालत यह है कि महीने के आखिरी में बमुश्किल वेतन भुगतान हो पा रहा है। लिहाजा कर्मियों को उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है।
अक्टूबर-नवंबर में किस्तों में भुगतान इससे पहले पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में भी इसी तरह समय पर वेतन भुगतान नहीं हो पाया था। राजस्व वसूली प्रभावित होने से फंड की कमी के कारण किस्तों में भुगतान का सहारा लेना पड़ा था। 700 सफाई व संविदाकर्मियों को 15 दिन बाद विलंब से भुगतान किया गया। वहीं शेष अधिकारियों व कर्मचारियों को माह के अंत में वेतन भुगतान किया जा सका था।
384 करोड़ के बजट पर सवाल नगर निगम प्रशासन का सालाना बजट 384 करोड़ है। बजट बैठक में शहर सरकार ने विभिन्न स्रोतों से 384 करोड़ 39 लाख 70 हजार आय होने का दावा किया था। वहीं पूरे साल तमाम जरूरतों में खर्च के बाद भी निगम को 13 लाख रुपए आमदनी होने की जानकारी दी गई थी। इसके बाद भी महीने में अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन के लिए महज 3 करोड़ रुपए की भी व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इससे निगम के बजट पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।