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दुर्ग

पिता की सर्पदंश से मौत, पुत्र को क्लेम नहीं मिला, बैंक व बीमा कंपनी पर लगाया हर्जाना

जिला उपभोक्ता फोरम ने सेवा सहकारी समिति मर्यादित मोहरेंगा, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक और इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी रायपुर को दोषी ठहराया है।

दुर्गOct 25, 2018 / 04:43 pm

Dakshi Sahu

patrika

पिता की सर्पदंश से मौत, पुत्र को क्लेम नहीं मिला, बैंक व बीमा कंपनी पर लगाया हर्जाना

दुर्ग. कृषक पिता की मृत्यु होने पर अत्तराधिकारी बेटे द्वारा क्लेम आवेदन प्रस्तुत करने के बाद राशि नहीं देने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने सेवा सहकारी समिति मर्यादित मोहरेंगा, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक और इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी रायपुर को दोषी ठहराया है। तीनों को एक माह के भीतर कुल 5 लाख 5 हजार जमा करने का आदेश दिया है।
इस राशि में क्लेम राशि 5 लाख और वाद व्यय 5 हजार रुपए शामिल है। क्लेम राशि में 12 प्रतिशत ब्याज भी देना होगा। बेमेतरा जिला के ग्राम मोहरेंगा निवासी मालिक राम यादव (३४) के परिवाद परप सुनवाई के बाद यह फैसला जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने सुनाया।
आवेदन किया था प्रस्तुत
परिवाद के मुताबिक पिता की मौत के बाद वर्ष 2016 में क्लेम राशि लेने बीमा कंपनी के समक्ष आवश्यक दस्तावेज के साथ आवेदन प्रस्तुत किया था। बीमा कंपनी ने उसके प्रकरण का निराकरण कि ए बिना ही आवेदन निरस्त कर दिया। बाद में दोबारा आवेदन प्रस्तुत करने के बाद उसका भी निराकरण नहीं किया।
परिवादी ने कहा कि वह कम पढ़ा लिखा है। पिता की मृत्यु के बाद उसे जानकारी मिली थी कि किसान के्रडिट कार्ड को आधार बनाकर बैंक ने प्रीमियम राशि काट कर उसके पिता का व्यक्तिगत बीमा किया था। बीमा शर्तो के हिसाब से मृत्यु के बाद 5 लाख रुपए मिलना था।
सर्पदंश से हुई थी मौत
परिवादी ने फोरम को जानकारी दी थी कि उसके पिता राम यादव १९ जुलाई २०१६ को निदाई कार्य कर रहे थे। इसी बीच उसे सर्प ने डस लिया था। प्राथमिक उपचार के लिए बेमेतरा अस्पताल ले जाया गया। स्थिति बिगडऩे पर जिला अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
बचाव में कहा
बैंक ने कहा वह दोषी नहीं सुनवाई के दौरान बैंक का कहना था कि परिवादी ने उनके पास किसी तरह का आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है। अगर आवेदन प्रस्तुत करता तो उसे बीमा कंपनी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता। बीमा का भुगतान करने का अधिकार उनके पास नहीं है। इसलिए उन्हें परिवाद से पृथक
किया जाए।
बीमा कंपनी ने बचाव में कहा कि क्लेम राशि पूर्ण रुप से शर्तो के आधार पर किया जाता है। परिवादी उनके पास किसी तरह का आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है। परिवाद असत्य आधारों पर प्रस्तुत है। इसलिए परिवाद को निरस्त किया जाए।

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