परिवाद के मुताबिक पिता की मौत के बाद वर्ष 2016 में क्लेम राशि लेने बीमा कंपनी के समक्ष आवश्यक दस्तावेज के साथ आवेदन प्रस्तुत किया था। बीमा कंपनी ने उसके प्रकरण का निराकरण कि ए बिना ही आवेदन निरस्त कर दिया। बाद में दोबारा आवेदन प्रस्तुत करने के बाद उसका भी निराकरण नहीं किया।
परिवादी ने फोरम को जानकारी दी थी कि उसके पिता राम यादव १९ जुलाई २०१६ को निदाई कार्य कर रहे थे। इसी बीच उसे सर्प ने डस लिया था। प्राथमिक उपचार के लिए बेमेतरा अस्पताल ले जाया गया। स्थिति बिगडऩे पर जिला अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
बैंक ने कहा वह दोषी नहीं सुनवाई के दौरान बैंक का कहना था कि परिवादी ने उनके पास किसी तरह का आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है। अगर आवेदन प्रस्तुत करता तो उसे बीमा कंपनी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता। बीमा का भुगतान करने का अधिकार उनके पास नहीं है। इसलिए उन्हें परिवाद से पृथक
किया जाए।