कभी तो मनाइए नो मोबाइल डे
फोन पर एक घंटे से ज्यादा बात करने का एडिक्शन डिप्रेशन और याददाश्त को कमजोर बना सकता है।
मोबाइल फोन की वजह से आज हर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। उसकी अपनी जिंदगी मोबाइल फोन में पूरी तरह से गुम हो गई है। इसी वजह से दुनियाभर में अब नो सेलफोन डे मनाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
परेशानियां : मोबाइल फोन की वजह से नजर कमजोर होना, कम सुनाई देना, नींद ना आना और गर्दन दर्द जैसी समस्याओं के साथ मानसिक समस्याएं जैसे नोमोफोबिया (फोन गुम होने का डर सताना) और फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम (फोन की घंटी हर वक्त सुनाई देना) हो रही हैं। मेयो क्लिनिक यूएस की रिसर्च में पाया गया कि सेलफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से कैंसर भी हो सकता है।
नोमोफोबिया : यह बीमारी उन लोगों को होती है, जिन्हें मोबाइल खोने के सपने आते हैं और जो बाथरूम में भी फोन ले जाते हैं। टाइम मैगजीन के आठ देशों के सर्वे (भारत भी शामिल) में पता चला कि पांच में से एक व्यक्ति हर 10 मिनट में अपना फोन चैक करता है।
सेलिब्रिटीज के लिए जरूरी नहीं फोन
अमिताभ बच्चन ने कुछ समय पहले ट्विट किया कि मैं काम के लिए हर वक्त फोन को जरूरी नहीं समझता। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एचडीएफसी के एमडी आदित्य पुरी भी फोन नहीं रखते। हॉलीवुड एक्टर टॉम क्रूज और जॉनी डेप के फोन का प्रयोग ज्यादातर उनका स्टाफ करता है।
खुद को करें चैक
कुछ घंटे फोन से दूर रहकर या नो सेलफोन डे मनाकर आत्मविश्लेषण करें। इससे पता चल जाएगा कि आपको फोन की कितनी लत है। फोन से लोगों को अलग करने के लिए मोटिवेट करना पड़ेगा, इससे होने वाली एंग्जायटी और डिप्रेशन के लिए दवाइयों की जरूरत भी पड़ सकती है।
फोन की कैद से निकलें बाहर
कॉन्टेक्ट्स को डायरी में भी नोट करें। दिन में कुछ घंटे मोबाइल से दूर रहें और सोने से पहले फोन स्विच ऑफ कर दें। कोशिश करें कि छुट्टी के दिन फोन बंद कर दें और इसकी सूचना अपने परिचितों को दें। पूरा दिन अपने लिए रखें और परिवार के साथ समय बिताएं। लैपटॉप और फोन जैसी चीजों से एक दिन दूरी बनाकर आप घूमने, अच्छी नींद लेने, अपनों के साथ बातचीत करने में भी आनंद ढूंढ सकते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक बहुत जरूरी न हो तो दिन में एक घंटे से ज्यादा फोन पर बात ना करें, इससे सुनने की शक्ति कम होती है और याददाश्त भी प्रभावित होती है।