तीन महीने बाद अब नल्दी के जंगल में तेंदुआ देखे जाने की सूचना, पगमार्क से पुष्टि के प्रयास
हाथीपावा की पहाड़ी पानी की तलाश में भटकते हुए गांव की सीमा तक आने की बात कही जा रही, तलाश जारी
तीन महीने बाद अब नल्दी के जंगल में तेंदुआ देखे जाने की सूचना, पगमार्क से पुष्टि के प्रयास
झाबुआ. हाथीपावा की पहाड़ी पर तेंदुआ देखे जाने की अफवाह के तीन महीने बाद अब पहाड़ी के पीछे नल्दी के जंगल में ग्रामीणों को तेंदुआ नजर आने की बात सामने आई है। इसके बाद से वन विभाग की टीम पूरे क्षेत्र में खोजबीन कर रही है। कुछ पगमार्क मिले हैं, लेकिन वे स्पष्ट नहीं है। लिहाजा विशेषज्ञों से राय मांगी गई है। यह भी बताया जा रहा है कि जंग
ल में पानी की कमी होने से तेंदुआ गांव के बाहर एक ग्रामीण के द्वारा हाल ही में खोदे गए कुएं के समीप पानी की तलाश में आया था। तभी उसे देखा गया।
दरअसल तीन दिन पहले ही नल्दी के कुछ ग्रामीणों ने तेंदुआ देखे जाने की सूचना वनविभाग के अमले को दी थी। इसके बाद से पूरी टीम नल्दी के जंगल में कक्ष क्रमांक 460 में जांच-पड़ताल में लग गई। जिस जगह तेंदुआ देखे जाने की सूचना थी वहां पगमार्क मिले हैं। चूकि पगमार्क में नाखून के निशान नहीं है, इसलिए ऐसा कहा जा रहा है कि ये तेंदुए के ही हैं। हालाकि अधिकारी इसकी पुष्टि नहीं कर रहे हैं। वनविभाग के डिप्टी रेंजर बापू बिलवाल के अनुसार नल्दी के जंगल में तेंदुआ होने की जानकारी मिलने के बाद पूरे क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
यदि तेंदुआ हुआ तो खतरे की सूचना
यदि नल्दी के जंगल में सही में तेंदुआ हुआ तो यह ग्रामीणों के लिए खतरे की सूचना है। क्योंकि तेंदुआ एक दिन में अधिकतम 35 किमी तक घूमता है। जबकि नल्दी का जंगल करीब 600 हेक्टेयर क्षेत्र में ही फैला हुआ है। ऐसे में हो सकता है कि तेंदुआ भोजन और पानी की तलाश में भटकते हुए गांव तक आ जाए। ऐसे में यदि ग्रामीणों का आमना-सामना हुआ तो निश्चित तौर पर वह हमला कर देगा। हर वन्यप्राणी का अपना अलग पगमार्क होता है। लकड़बग्घे या जरख के अगले पैरों के पंजे बड़े होते हैं। इनका निशान किसी बड़े फूल की तरह बनता है। पिछले पैरों के पंजे कुत्ते जैसे छोटे होते हैं।
पंजों के निशान के आगे जमीन पर नुकीले नाखूनों के निशान बनते हैं। जबकि तेंदुए के पंजे में एक नाशपाती के जैसा बड़ा निशान और इसके आगे चार गोल आकार के अंगूठे जैसे निशान बनते हैं। इनमें नाखून का निशान नहीं बनता, क्योंकि तेंदुआ अपने नाखून गद्देदार पंजों में दबाकर चलता है। नल्दी के जंगल में जो पगमार्क मिले हैं वे इसी तरह के हैं। जिससे वनविभाग भी सतर्क हो गया है।
तीन महीने पहले भी उड़ी थी अफवाह
तीन महीने पहले भी 26 मार्च की रात हाथीपावा की पहाड़ी पर तेंदुआ देखे जाने की अफवाह उड़ी थी। उस वक्त झाबुआ कोतवाली प्रभारी एनएस रघुवंशी जब हाथीपावा की पहाड़ी पर पेट्रोलिंग कर लौट रहे थे तो उनकी गाड़ी के सामने से अचानक एक जंगली जानवर गुजरा था। टीआई को लगा तेंदुआ है तो उन्होंने एसपी को सूचना दी। एसपी ने कलेक्टर व डीएफओ को बताया। ्ररात में ही वन विभाग के एसडीओ संतोष कुमार रनशौरे व रेंजर सुखराम हटिला अपनी टीम के साथ हाथीपावा पहाड़ी क्षेत्र में तेंदुए के तलाशी अभियान में जुट गए। रात एक बजे तक उन्होंने कक्ष क्रमांक 295, 296 और 297 में खोजबीन की लेकिन तेंदुए की मौजूदगी का कहीं कोई सुराग नहीं मिला। पहाड़ी पर कुछ जगह वन्य प्राणी के पगमार्क मिले तो उसकी भी जांच की गई। पता चला पगमार्क लकड़बग्घे के हैं।
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