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रायगढ़

स्वच्छ भारत मिशन की यहां ऐसे खुल गई पोल, अधूरे काम का कर दिया पूरा भुगतान

शौचालय निर्माण में चार लेयर की फिल्टरेशन में ठेकेदार ने सेंध लगा दी है।

रायगढ़Sep 27, 2017 / 11:34 am

Shiv Singh

शौचालय निर्माण में चार लेयर की फिल्टरेशन में ठेकेदार ने सेंध लगा दी है।

शौचालय निर्माण में चार लेयर की फिल्टरेशन में ठेकेदार ने सेंध लगा दी है।

रायगढ़. शौचालय निर्माण में चार लेयर की फिल्टरेशन में ठेकेदार ने सेंध लगा दी है। नियम यह है कि शौचालय निर्माण के लिए जब नींव खुदती है तो अधिकारी निरीक्षण करते हैं।

वहीं इसके बाद डोर लेबल फिर ढलाई और उसके बाद जब शौचालय की रंगाई-पोताई हो जाती है तब भी इसका निरीक्षण किया जाता है। यह निरीक्षण एई व ईई लेबल के अधिकारियों के द्वारा किया जाता है,
जबकि निर्माण के दौरान कभी भी संबंधित वार्ड का इंजीनियर निरीक्षण करता है, इसके बाद भी शौचालय बना नहीं और भुगतान हो गया। निगम क्षेत्र में शौचालय निर्माण में हुई धांधली के मामले ने अब तूल पकडऩा शुरू कर दिया है।
पत्रिका में खबर छपने के बाद जोगी कांग्रेस छत्तीसगढ़ के युवा कार्यकर्ताओं ने निगम में प्रदर्शन कर दिया और इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की।

दूसरी ओर निगम आयुक्त ने भी यह स्वीकार किया है कि ये बात सही है कि शौचालय निर्माण के मामले में काफी शिकायत आ रही है उन्होंने इस मामले में अब जांच का अश्वासन दिया है।

शहरी क्षेत्र में करीब सात हजार शौचालय निर्माण करने का दावा निगम कर रहा है। वहीं इस निर्माण का हवाला देते हुए नगर निगम, मुख्यमंत्री के आगमन के वक्त अपनी पीठ थपथपा चुका है,
लेकिन अब इस निर्माण की पोल परत-दर-परत खुल रही है। स्थिति यह है कि निगम द्वारा बनाए गए इन सात हजार शौचालय में एक ठेकेदार के द्वारा ही करीब पांच से सात सौ शौचालय का निर्माण नहीं किया गया और निगम ने बकायदा उसका भुगतान कर दिया है।
अब जब पत्रिका ने इस मामले को उजागर किया तो निगम में इस मामले को लेकर प्रदर्शन भी शुरू हो गया।


शहर को ओडीएफ घोषित करने के लिए निगम के 48 वार्डों में सात हजार शौचालय निर्माण का लक्ष्य मिला था, जिसे निगम कुछ दिन पहले ही पूरा करना बता रहा है। वहीं इसमें से अधिकांश शौचालय निर्माण का निगम के द्वारा भुगतान भी कर दिया गया है,
लेकिन अब यह बात उजागर हो रही है कि संबंधित ठेकेदार व नगर निगम के अधिकारियों ने ऐसा सांठगांठ किया कि बिना शौचालय बनाए ही यह दर्शा दिया कि संबंधित हितग्राहियों के घरों में शौचालय बना दिया गया है और इसके एवज में निर्माण राशि का भी आहरण कर लिया गया।

इस तरह की स्थिति वार्ड क्रमांक 8, 9, 25, 31, 32, 35, 37, 45, 46 व 47 में उजागर हो रही है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति वार्ड क्रमांक 35 व 37 में दिख रही है। खास बात यह है कि यह दोनों वार्ड पिछड़ा क्षेत्र है।
इन वार्डों में ठेकेदार के द्वारा शौचालय का निर्माण किया ही नहीं गया और निगम ने उसका भुगतान कर दिया। जबकि शौचालय निर्माण होने के साथ कम से कम चार चरणों में निरीक्षण होता है।

शौचालय निर्माण के लिए हितग्राहियों के द्वारा जगह बताए जाने के बाद जब इसकी नींव खोदी जाती है तब निगम के अधिकारी निरीक्षण करते हैं। वहीं इसके बाद डोर लेबल फिर ढलाई और उसके बाद जब शौचालय की रंगाई-पोताई हो जाती है तब भी इसका निरीक्षण किया जाता है।
यह निरीक्षण एई व ईई लेबल के अधिकारियों के द्वारा किया जाता है, जबकि निर्माण के दौरान कभी भी संबंधित वार्ड का इंजीनियर निरीक्षण करता है, लेकिन अधिकारी व ठेकेदारों की सांठगांठ से बिना शौचालय निर्माण के ही भुगतान कर दिया गया।

निगम पहुंचे युवाओं ने की संबंधितों पर एफआईआर कराने की मांग
नगर निगम में सोमवार को जहां वार्ड क्रमांक 33 व 34 के लोग शौचालय निर्माण के नाम पर फर्जीवाड़ा किए जाने की शिकायत लेकर पहुंचे थे। वहीं मंगलवार को निगम में प्रदर्शन किया गया। प्
रदर्शन जनता कांग्रेस जोगी के युवा विंग की ओर से किया गया। नगर निगम में प्रदर्शन के दौरान उन्होंने शौचालय निर्माण के अनियमितता करने वाले ठेकेदार व अधिकारी पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। ऐसा नहीं किए जाने पर वे स्वयं ही इस मामले एफआईआर दर्ज कराने बात कह रहे थे।

कई बार शिकायत, लेकिन कार्रवाई नहीं– शौचालय निर्माण के नाम पर की गई अनियमितता निर्माण शुरू होने के साथ आरंभ हो गई थी। वहीं तात्कालीन समय में भी हितग्राहियों ने इस बात की शिकायत नगर निगम के अधिकारियों से की, लेकिन निगम के अधिकारी इस मामले में निष्क्रिय बने रहे।

ऐसा भी है मामला– नगर निगम के द्वारा बनाए गए शौचालय में इस तरह की बात भी सामने आ रही है कि पुसौर क्षेत्र में रहने वाले एक हितग्राही को शहर के वार्ड क्रमांक 37 का हितग्राही बताया गया है।
वहीं उनके घर में शौचालय निर्माण पूरा होना बताते हुए राशि आहरण कर लिया गया है। इसी तरह इस वार्ड में कई ऐसे हितग्राही हैं, जिनके यहां शौचालय का निर्र्माण किया ही नहीं गया और निर्माण बताते हुए राशि आहरण कर लिया गया है।

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