प्रोफेसर लेलीवेल्ड ने औपनिवेशिक भारत से जुड़े विभिन्न विषयों पर बड़े स्तर पर शोध कार्य किया है। उन्होंने डिसऐनचैनमेंट एट अलीगढ़ इस्लाम एण्ड दा रीम आॅफ दा सेक्यूलर इन लेट नाइनटीन सेंचुरी इंडिया, स्वराज भवन और सर सैयद अहमद खान, यंगमैन सैयद ड्रीम्स एण्ड बायोग्राफीकल टेम्सटस, दकुतुब मीनार इन सैयद अहमद खान आसर उन सनादीन, सोदा सुलफ उर्दू इन दा टू वर्जन्स आॅफ सर सैयद अहमद खान आसारउस सनादीन, सर सैयद पब्लिक स्फेयरः उर्दू प्रिंट एण्ड ओरेटरी इन नाइनटीन सेंचुरी इंडिया, सैयद अहमद खान अकाउंट आॅफ दी एप्राइजिंग इन बिजनौर एण्ड जबाने उर्दू-ए- मौअल्ला और दा आयडल आॅफ लिंग्वेस्टिक ओरिजिन जैसी पुस्तकों की रचना की है।
जबकि जस्टिस सिद्दीकी निरंतर रूप से भारत के विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के मध्य सहयोगात्मक, सामाजिक रिश्तों को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत हैं। नेशनल कमीशन फाॅर माइनिरिटी एजूकेशनल इंस्टीटयूशन के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने हमेशा भारत के संविधान में निहित वास्तविक धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों पर लोगों के विश्वास को बहाल करने के लिए आवाज उठाई है। जस्टिस सिद्दीकी ने अपने कैरियर की शुरूआत मध्य प्रदेश की ग्वालियर बेंच में अधिवक्ता के रूप में की। जिसके बाद वह मध्य प्रदेश सरकार के विधि विभाग विशेष सचिव भी रहे और विधि एवं न्यायिक विज्ञान के क्षेत्र में विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर रहे। 1992 में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और 2004 में रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं।