पुख्ता सुरक्षा इंतजाम के लिए हो रही बैठकें
सत्र की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अलग अलग बैठकें भी की हैं। इस बार विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा परिसर और सभा मंडप दोनों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गयी। विशेष रूप से प्रवेश पत्र.चेकिंग,पास और पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठकें हुईं जिसमें सुरक्षा को लेकर विस्तार से चर्चा की गयी। सत्र के दौरान अग्निशमन,चिकित्सा और एंबुलेंस की तैनाती पर जोर दिया गया। पिछली बार एक विधायक की तबियत बिगड़ गई थी लेकिन विधानसभा परिसर में न ही चिकित्सक उपलब्ध थे और न ही एंबुलेंस उस समय मौजूद थी। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सत्र के दौरान किसी भी तरह की अनियमितताएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
प्रश्नों की सूची तैयार
सूत्रों के मुताबिक विधानसभा सत्र के लिए कुल 1006 प्रश्न आएं हैं। जिनमें 930 तारंकित और अतारांकित शामिल हैं। 70 अल्प सूचित प्रश्नों में 6 अल्प सूचित सवाल अब तक स्वीकार किए गए हैं। इसके अलावा 174 याचिकाएं सदन के पटल पर रखी जाएंगी। साथ ही 5 विधेयकों को सदन के पटल पर रखे जाने की प्लानिंग है। विधानसभा के सचिव जगदीश चंद्र ने भी इस बात की पुष्टि की कि अब तक विधायकों की आेर से विभिन्न मसलों को लेकर 1006 सवाल आएं हैं। अब कोई विधायक प्रश्न सूची में शामिल करने के लिए भेजता है तो सूची में उस प्रश्न को शामिल नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि समय काफी कम है। सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इधर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने शनिवार को बताया कि सदन का समय बर्बाद नहीं हो। इसके लिए सत्ता पक्ष के विधायकों के साथ ही साथ विपक्ष के विधायकों से भी बातचीत की गयी है। सर्वदलीय बैठक में भी इस पर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि विधायक समय के महत्व को समझेंगे और बेवजह सदन का समय बर्बाद नहीं होने देंगे।
सत्र को लेकर चिंतित सीएम
सूत्रों के मुतबिक सदन चले। इसको लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत विशेष रूप से चिंतित हैं। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के कुछ विधायकों से अपने स्तर पर बातचीत भी की है। आगामी 17 सितंबर को मुख्यमंत्री ने विधानमंडल दल की बैठक बुलाई है जिसमें वे अपने विधायकों से सदन चलाने को लेकर बातचीत करेंगे।
पिछला सत्र चढा था हंगामे की भेंट
उल्लेखनीय है कि पिछला सत्र देहरादून में न होकर गैरसैंण में हुआ था और वहां सत्ता और विपक्ष दोनों ही दल के विधायकों की आेर से छोटी छोटी बातों को लेकर हंगामा हुआ था। जिससे काफी समय की बर्बादी हुई थी। जिसको लेकर न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने भी काफी आलोचना की थी।