तीन दिन पहले आई टीम
एक चिकित्सा अधिकारी के अनुसार राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान की टीम लगभग तीन दिन पहले आई थी। इन्होंने रायपुर के दो-तीन इलाकों से मच्छरों का लार्वा लिया था। इसकी रिपोर्ट एक हफ्ते के अंदर में आएगी। अधिकारी ने बताया कि टीम का काम मूल रूप से मच्छरों पर रिसर्च करना है। रिसर्च कर टीम बताएगी कि क्या एडीज एलबोपिक्टस है कोई और मच्छर है। लार्विसाइडल से डेंगू के मच्छरों पर कमी तो आई है, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक इंस्कैटिसाइड से जो असर आना चाहिए वह अभी तक नहीं आया है।
डेंगू के 383 से ज्यादा मामले
उल्लेखनीय है कि बुधवार तक उत्तराखंड में डेंगू के 383 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें आधे से ज्यादा अधिक मरीज रायपुर इलाके से पाए गए हैं। इसके चलते लार्वा के सैंपल रायपुर से लिए गए हैं। इसमें अब तक देहरादून में 371 मामले सामने आ चुके हैं बाकी 12 अन्य जिलों से हैं। इनमें 257 पुरुष व 126 महिलाएं हैं। चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान की टीम आई थी, टीम यह कंफर्म करना चाह रही थी की मच्छर की ब्रीड कौन सी है। अभी डेंगू मच्छरों पर काबू करने के लिए डेल्टा फॉग व गोकिलाहट पायरेथम ग्रुप की दवाइयां फॉगर के माध्यम से इस्तेमाल की जा रही हैं। यह डब्लयूएचओ के स्टैन्डेर्डस के हिसाब से है। इसके अलावा एंटी लार्वल के लिए टैमफौस ( स्प्रे) पानी में इस्तेमाल किया जाता है। इसे नालियां व जमे पानी में डाला जाता है।