पीतांबरा शक्तिपीठ
कहते हैं विधि विधान से अगर अनुष्ठठान कर लिया जाए तो मां जल्द ही पूरी कर देती हैं भक्तों की मनोकामना। मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है और इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं। माँ पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में माँ की पूजा का विशेष महत्व होता है।
मध्य प्रदेश के झांसी के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर से कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं जाती। राजा हो या रंक, मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं। आपको बता दें कि इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में परम तेजस्वी स्वामी जी के द्वारा की गई। मां पीतांबरा का जन्म स्थान, नाम और कुल आज तक रहस्य बना हुआ है।
मां का ये चमत्कारी धाम स्वामी जी के जप और तप के कारण ही एक सिद्ध पीठ के रूप में देशभर में जाना जाता है। मंदिर के आचार्य हरी ओम पाठक बताते है कि चर्तुभुज रूप में विराजमान मां पीतांबरा के एक हाथ में गदा, दूसरे में पाश, तीसरे में वज्र और चौथे हाथ में उन्होंने राक्षस की जिह्वा थाम रखी है।
नेहरू से अटल तक ने यहां मांगी मुराद
देश की राजनीति में ये पहली बार नहीं है जब सियासत के महारथी मां पीताम्बरा के दरबार में आए हो। नेता हो या अभिनेता जब भी कोई संकट में आता है तो उसे मां पीताम्बरा सबसे पहले याद आती हैं। यहां देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, पीवी नरसिम्हा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया सहित देश की कई हस्तियां मां की शरण में आ चुके हैं और मां ने हर बार उनकी मुराद पूरी की है।
महाकाल का दरबार
बीते दिनों पहले कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी नें महाकाल मंदिर में जाकर महाकाल के दर्शन किए और विशेष पूजन भी किया। जीत की कामना के साथ वे वहां पर गए। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सपत्नी शिव की साधना करने के लिए यहां पर पहुंचे थे। बीते समय से देखा गया है कि जीत की कामना के लिए चुनाव के समय कई बड़े नेता यहां पर दर्शन के लिए आते हैं।