मामले में सामने आया है कि पिछले कई वर्षों से राजनैतिक संरक्षण प्राप्त एक ही ठेकेदार द्वारा साइकिल स्टैंड का संचालन किया जा रहा है। पिछले वर्ष भी इस स्टैंड का टैंडर इन्हीं कारणों से नहीं हो सका था और अस्पताल के अधिकारियों पर दबाव बनाकर ठेका रिन्यूवल करा लिया गया था।
जिला अस्पताल में संचालित इस स्टैंड को लेकर जब पत्रिका द्वारा पड़ताल की गई तो मंगलवार की दोपहर रजपुरा थाना क्षेत्र के हरदुटोला गांव निवासी प्रेमा बंजारा का दो पहिया वाहन स्टैंड संचालक के कर्मचारी द्वारा नहीं दिया जा रहा था। वजह यह थी कि बाइक मालिक प्रेमा बंजारा से 30 रुपए मंगाए जा रहे थे, लेकिन उसने इतनी राशि देने से इंकार कर दी। प्रेमा का कहना है कि वह अपनी एक महिला परिजन जो अस्पताल के मेडिकल वार्ड में भर्ती उसके उपचार कराने के लिए सोमवार की शाम अस्पताल आया था। रात में उसने अपनी बाइक साइकिल स्टैंड पर रख दी थी। सुबह जब बाइक लेने गया तो साइकिल स्टैंड संचालक एक रात के 30 रुपए मांग रहा था। इस मामले की जानकारी लगने पर जब पत्रिका टीम मौके पर पहुंची तो स्टैंड पर मौजूद व्यक्ति ने बमुश्किल से 10 रुपए लेकर बाइक छोड़ी। इस पूरे मामले में से यह बात सामने आ गई कि स्टैंड ठेकेदार द्वारा गरीब तबके के लोगों से जमकर पैसा ऐठा जा रहा है।
जहां मर्जी वहां स्टैंड का संचालन
अस्पताल प्रबंधन द्वारा साइकिल स्टैंड का एक चिंहित स्थान पर संचालन हो सके और परिसर में चारों तरफ गाडिय़ों का मेला ना लगे इसके चलते टीन शैड लगवाकर एक स्थान को पार्किंग के लिए बनाया। इस स्थान को तैयार करने में लाखों रुपए की राशि शासन द्वारा खर्च की गई, लेकिन स्टैंड का संचालन इस स्थान पर ना होकर अस्पताल के मुख्य गेट पर किया जा रहा है। जबकि कलेक्टर द्वारा अपने निरीक्षण के दौरान सख्त निर्देश दिए थे कि मुख्य गेट के सामने वाहन खड़े नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा गया था क्योंकि गंभीर मरीज के अस्पताल लाए जाने पर एंबूलेंस खड़ी करने में परेशानी ना हो, लेकिन कलेक्टर के इस आदेश को साइकिल स्टैंड द्वारा नहीं माना जा रहा है। स्टैंड पर करीब चार से पांच कर्मचारी कार्य करते हैं और वह जहां मर्जी होती है वहीं पर वाहन पार्क करा देते हैं। सामने यह आया है कि ठेकेदार को सिर्फ अपनी जबरन की वसूली से सरोकार है।
एक बार फिर प्रबंधन के पास अवसर
जिला अस्पताल में संचालित साइकिल स्टैंड से अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी भी परेशान हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि स्टैंड संचालन में अस्पताल प्रबंधन द्वारा दिए जाने वाले निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है। इधर नियमों के नहीं माने जाने पर भी अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी स्टैंड संचालन के खिलाफ चुप्पी साधे रहते हैं। इसी प्रमुख वजह राजनैतिक संरक्षण होना ही सामने आई है। लेकिन प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार प्रबंधन को एक अवसर इस साल फिर मिला है। दरअसल सितंबर माह तक की ठेकेदार को स्टैंड संचालन करने की अनुमति है। पिछले वर्ष ठेके का रिन्युवल सितंबर माह तक का ही था। जिला अस्पताल आरएमओ डॉ. दिवाकर पटेल से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस माह के बाद नए सिरे से स्टैंड संचालन की टैंडर प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी।