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चित्तौड़गढ़

सेहत में कैसे हो सुधार, फर्श पर हो रहा रोगियों का उपचार

पिछले कुछ दिनों में मौसम के करवटे बदलते और गर्र्मी के तेवर तीखे होते ही चिकित्सालयों में रोगियों की कतारे लग गई है। रोगियों का दबाव बढ़ते ही जिला चिकित्सालय में उपलब्ध सुविधाओं की पोल भी खुलने लगी है। हालात ये है कि जिला चिकित्सालय में भर्ती होने वाले रोगियों को भी बेड के अभाव में फर्श पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

चित्तौड़गढ़Apr 25, 2019 / 12:07 pm

Nilesh Kumar Kathed

chittorgarh

सेहत में कैसे हो सुधार, फर्श पर हो रहा रोगियों का उपचार


चित्तौडग़ढ़. पिछले कुछ दिनों में मौसम के करवटे बदलते और गर्र्मी के तेवर तीखे होते ही चिकित्सालयों में रोगियों की कतारे लग गई है। रोगियों का दबाव बढ़ते ही जिला चिकित्सालय में उपलब्ध सुविधाओं की पोल भी खुलने लगी है। हालात ये है कि जिला चिकित्सालय में भर्ती होने वाले रोगियों को भी बेड के अभाव में फर्श पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर रोगियों को क्या सुविधा मिल पा रही होगी इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
जिला चिकित्सालय के मेल-फिमेल मेडिकल वार्ड में रोगियों की संख्या बढऩे से बुधवार को कई मरीजों को फर्श पर लेट कर ईलाज कराना पड़ रहा था। सभी बेड भरे होने से नए भर्ती हुए रोगियों का फर्श पर सुलाकर उपचार करना मजबूरी हो गया।फर्श पर सुलाकर ही रोगियों को ड्रिप चढ़ाई जा रही थी। इस स्थिति से मरीजो व उनके साथ तिमारदारी के लिए आए परिजनों में संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया। फर्श पर ही ऐसे रोगियों को ड्रिप भी चढ़ाई जा रही है।
निरीक्षण टीम के सामने नहीं खुलने दी पोल
जिला चिकित्सालय प्रशासन का दावा है कि ३०० बैड की क्षमता वाले अस्पताल में ५५० से अधिक बेड लगे हुए है। वहीं जिला अस्पताल में दो दिन पहले प्रदेश स्तरीय टीम निरीक्षण करने आईथी। इस टीम के निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य भी यही था कि प्रदेश के चिकित्सालयों में खामियों का पता लगाकर उनको सुधारना, लेकिन इस टीम के निरीक्षण करने की सूचना पहले से ही होने से खामियां उजागर ही नहीं हुई।
नर्सिंग स्टाफ की कमी से परेशान हो रहे मरीज
जिला अस्पताल के मेल -फिमेल वार्ड में ५०-५० बेड लगा रखे है। उसके बाद भी यहां पर ७० से अधिक मरीज भर्ती है। वार्ड में रोगी संख्या बढऩे के बावजूदस्टाफ की संख्या नहीं बढ़ी है। स्टाफ की कमी के चलते मरीजों को ड्रिप चढ़ाने, भर्ती होने के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल में कई वार्डो में रोगियों की संख्या कम होने पर अधिक स्टॉफ एवं कई वार्डो में रोगी संख्या अधिक होने पर स्टॉफ संख्या कम होने की स्थिति भी बनी हुई है।
अस्पताल खुलते ही लगती कतार
जिला अस्पताल के खुलते ही ओपीडी पर पर्ची कटवाने के लिए मरीजों की कतार लग जाती है। मरीज को पर्ची कटवाने से लेकर भर्ती तक लगभग दो घंटे इंतजार के बाद भी बेड के अभाव में फर्श मिलता है। वार्डों में अधिक मरीजों के भर्ती होने से भीड़ बढ़ जाती है। ऐसे में डॉक्टर राउंड के दौरान भी परेशानी होती है।
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अस्पताल में तीन सौ बेड स्वीकृत है उसके बाद भी 550 बेड लगा रखे है, लेकिन मौसमी बीमारियों के चलते मरीजों की संख्या अधिक है। हम अपनी तरफ से हर संभव बेहतर उपचार व सेवा देने का प्रयास कर रहे है।
डॉ. मधुप बक्षी, पीएमओ, श्री सांवलियाजी राजकीय जिला चिकित्सालय चित्तौडग़ढ़

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