scriptअनुष्ठान मंडप निर्माण के दौरान खुदाई में निकला प्राचीन मृदभांड | Ancient rutted excavation during the construction of the ritual pavil | Patrika News

अनुष्ठान मंडप निर्माण के दौरान खुदाई में निकला प्राचीन मृदभांड

locationछतरपुरPublished: Jul 20, 2019 07:50:02 pm

Submitted by:

Neeraj soni

– घुवारा के पास स्थित अतिशय क्षेत्र नवागढ़ में लगातार मिल रहीं प्राचीन प्रतिमाएं और पाषण शिल्प

Ancient rutted excavation during the construction of the ritual pavil

Chhatarpur

घुवारा। प्रसिद्ध अतिशय क्षेत्र नवागढ़ में खुदाई के दौरान फिर एक प्राचीन मृदभांड मिला है। इसके पहले यहां प्रतिमा सहित कई पाषाण शिल्प निकल चुका है। संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के सुयोग्य शिष्य, एकांत प्रिय मुनिश्री सरल सागर महाराज के मंगल चातुर्मास की स्थापना के लिए यहां पर संत भवन एवं अनुष्ठान मंडप का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए किए गए खनन में प्राचीन मृदभांड मिला हैं।
ग्रामीण जनों का कहना है इस प्रकार के पात्र हमने कभी नहीं देखे हैं, इस प्रकार की रचना प्राचीन काल में रही होगी। वर्तमान काल में ऐसा निर्माण नहीं हो रहा है। नवागढ़ में होने वाले निर्माण कार्य में जो भी खनन हो रहा है उसमें अब सावधानी रखी जा रही है। जिससे कोई विशेष कला कीर्ति क्षतिग्रस्त न हो। डॉ. एसके दुबे झांसी के निर्देशानुसार यहां पर जहां भी खनन कार्य होता है। उसमें यह सावधानी रखी जाती है। विगत दिनों रूप सिंह गुर्जर के यहां खनन में पाश्र्वनाथ भगवान की खंडित प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जो अत्यंत मनोग एवं विलक्षण है।
अत्यंत गौरवशाली इतिहास :
यहां आने वाले अन्वेषण दलों के माध्यम से कई प्रकार की प्राचीन धरोहरों का अन्वेषण किया गया है। पुरातत्वविद् डॉ. मारुतिनंदन प्रसाद तिवारी वाराणसी एवं एसएस सिन्हा वाराणसी ने यहां का गहन निरीक्षण किया है। उन्होंने बताया नवागढ़ नंदपुर गुप्तकालीन स्थापित नगर है, जिसका विकास प्रतिहार काल एवं चंदेल काल में हुआ है। महोबा से लेकर देवगढ़ तक यह पूरा का पूरा बुंदेलखंड ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां के गांव-गांव में विलक्षण कलाकृतियां एवं भारतीय कला संपदा का अक्षय भंडार है।
नवागढ़ की यह भी है विशेषता :
अन्वेषक दलों के अनुसार जहां जहां भी अन्वेषण हुए हैं वहां मात्र जैन मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। लेकिन नवागढ़ ऐसा क्षेत्र है जहां जैन मूर्तियों में उपलब्ध अभिलेख के माध्यम से प्राचीनता सिद्ध हो रही है। वहीं मूर्ति शिल्प के माध्यम से भी यहां के इतिहास के साक्ष्य प्राप्त हो रहे हैं। फाइटोन पहाड़ी के निकट जैन पहाड़ी में स्थित संघ साधना स्थल गुफाओं में उकेरी गई आकृति एवं चरण चिन्ह यहां की जैन विरासत का साक्षात्कार कराते हैं। रॉक पेंटिंग, कपमार्ग, हैंगिंग रॉक, बैलेंस रॉक, मैटेलिक साउंड रॉक इसके विशेष पर्यटन स्थल होने का साक्ष्य हैं।
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