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27,000 कोल्ड चेन स्टोर से मिल रहा टीकाकरण को बल, इंडस्ट्री की बदल रही तस्वीर

डॉ. बिनीता प्रियबंदा, सीनियर कंसल्टेंट, मेडिकल टीम, डॉकप्राइम.कॉम

नई दिल्लीSep 06, 2019 / 12:53 pm

Shivani Sharma

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नई दिल्ली। हम जब भी किसी संक्रामक बीमारी की चपेट में होते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में टीकाकरण के बारे में आते हैं क्योंकि आज के समय में संक्रामक बीमारियों से निजात पाने के लिए टीकाकरण एक अच्छा उपाय है। हमारे देश में दशकों से चली आ रही बीमारियों से निजात पाने के लिए भी टीकाकरण का प्रयोग किया जाता है। हमारे देश की पहली सफल वैक्सीन स्मॉल पॉक्स थी, जिसे साल 1790 में एडवर्ड जेनर ने विकसित किया था। इसके बाद से हमारे देश में कई बीमारियों के टीके विकसित किए जा चुके हैं, लेकिन अभी भी पूर्ण टीकाकरण को लागू करने के लिए हमारे पास एक मजबूत प्रणाली की कमी है।


टीकाकण के प्रभाव

भारत में टीकाकरण काफी पुरानी प्रथा है और टीकाकरण के फायदे हम सभी ने देखे हैं। चाहें चेचक हो या पोलियो हो सभी बीमारियों के लिए आज के समय में टीकाकरण एक अच्छा उपाय है। आज के समय में यह सभी बीमारियां काफी पीछे छूट गई हैं। हमने टीकाकरण के सार्वजनिक लाभ बार-बार देखे हैं।


देश में 27 हजार कोल्ड चेन स्टोर

भारत में टीकाकरण के कारण एक अनोखा बदलाव देखने को मिला है। इस बादलाव से मरीजों को तो राहत मिली है। इसके साथ ही देश के विकास में भी बढ़ोतरी हुई है। इस समय पूरे भारत में 27,000 कोल्ड चेन स्टोर खुले हुए हैं। इन जगहों पर सरकार के द्वारा चलाए जाने वाले कायर्यक्रमों की समीक्षा की जाती है। इसके साथ ही 13 लाइफ थ्रीटिंग डिसीज से निपटने के लिए कोई भी इन स्टोर्स पर संपर्क कर सकता है। इसके साथ ही हमारे देश के 26 राज्यों में 26 मिलियन बच्चे और 30 मिलियन गर्भवती महिलाएं इस समय पूरी तरह से प्रतिरक्षित हैं।


ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग हैं अनजान

ग्रामीण इलाकों से आने वाले लोग अभी भी अपने बच्चों का टीकाकरण कराने में हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि बच्चे को बुखार हो सकता है। आज के समय में भी हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं, जिनको वैक्सीन के बारे में कोई जानकारी नहीं है और वह आज भी इनसे अनजान हैं, जिसके कारण कई बार ग्रामीण बच्चे बीमारी की चपेट में आ जाते हैं और उनका टीकाकरण नहीं हो पाता है। इसके साथ ही आपको बता दें कि इस तरह की स्थिति कई बार शहरों में भी देखने को मिलते है।


देश में चलाए जा रहे कई जागरुकता अभियान

सरकार की ओर से टीकाकरण को लेकर चलाए जा फ्लैगशिप प्रोग्राम का प्रमुख कार्यक्रम यूआईपी है। सरकार की ओर से चलाए जा रहे इस प्रोग्राम से धीरे-धीरे भारत के शहरों में टीकों की पहुंच बढ़ रही है। साल 1978 के बाद से टीकों की पहुंच में काफी इजाफा हुआ है। इसके साथ ही देश भर में टीकाकरण को आगे बढ़ाने के लिए मिशन इंद्रधनुवास की लॉन्चिंग सरकार ने साल 2014 में की थी। इस प्रोग्राम का मकसद देश को स्वस्थ बनाना है। इसके अतिरिक्त, टीकाकरण के महत्व को बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय टीकाकरण जागरूकता महीना और विश्व टीकाकरण सप्ताह सहित कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।


सरकार ने लॉन्च किया UPI

यूआईपी को लॉन्च करना स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एक ऐतिहासिक कदम था। इस समय इस कार्यक्रम देश में कई सुधार हो रहे हैं। सरकार ने पहले चरण को 1978 में लॉन्च किया था और इसे प्रतिरक्षण कार्यक्रम (EPI) के रूप में जाना जाता था। इसके बाद सरकार ने साल 1985 में भी इसको आगे बढ़ाया था। इस प्रोग्राम में साल 1989-90 के बीच में कई तरह के सुधार किए गए, जिससे इस प्रोग्राम के तहत सभी जिलों को कवर किया जा सके। बाद में सरकार ने इस प्रोग्राम को यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम ( UPI ) का नाम दे दिया और उसके बाद इसमें संशोधन किया।


यूपीआई प्रोग्राम के अंतर्गत कई तरह की वैक्सीन आती हैं –

1. तपेदिक के लिए बीसीजी (बेसिलस कैलमेट गुएरिन)

2. डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टिटनेस के लिए डीपीटी

3. पोलियो के लिए ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन)

4. खसरा और रूबेला के लिए खसरा (Lyophilized वैक्सीन) या एमआर टीका

5. हेपेटाइटिस बी के लिए हेपेटाइटिस बी (तरल टीका)

6. टेटनस के लिए टीटी (टेटनस टॉक्साइड)

7. जापानी एन्सेफलाइटिस के लिए जेई टीकाकरण

8. हिब निमोनिया और हिब मेनिनजाइटिस के लिए हिब (हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी)


भारत से खत्म हो रहीं चेचक जैसी बीमारियां

देश में चलाए जाने वाले टीकाकरण शिविरों के कारण पोलियो और चेचक जैसी बीमारियों को भारत से पूरी तरह से मिटा दिया गया है। 1960 से पहले, खसरे से भारत में हर साल 8 मिलियन लोगों की मौत होती थी। हालांकि, टीकाकरण के बाद, संख्या में 75% से अधिक की गिरावट आई है। राष्ट्रव्यापी टीकाकरण कवरेज के कारण, भारत ने 2015 में प्रति 1000 लोगों के पैदा होने पर यह समस्या सिर्फ एक लोगों में देखने को मिली।


मिशन इंद्रधनुश

साल 2017 में यूआईपी ने 65 फीसदी बच्चों को टीकाकरण की सुविधा दी थी। इसके साथ ही सरकार ने टीकाकरण को स्वास्थ्य प्राथमिकता बनाने के लिए साल 2014 में मिशन इन्द्रधनुष की
शुरुआत की थी। टीकाकरण कार्यक्रम का नवीनतम चरण हर साल 90% बच्चों (उम्र 0-5 के बीच) को टीकाकरण कराने के लिए प्रेरित करता है। इस गति के साथ सरकार जल्द से जल्द देश में पूर्ण टीकाकरण के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है।


‘मिशन इन्द्रधनुष’ पर सरकार कर रही काम

‘मिशन इन्द्रधनुष’ के लॉन्च होने के बाद से प्रति वर्ष जनसांख्यिकीय में 6.7% की वृद्धि हुई है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं का पूरी तरह से टीकाकरण करने के लिए 4 नए टीके अखिल भारतीय स्तर पर शुरू किए गए हैं। इसके अलावा पोलियो वैक्सीन, रोटावायरस, रूबेला और जापानी एन्सेफलाइटिस के खिलाफ एक वयस्क टीका भी यूआईपी के तहत पेश किया गया है। वहीं, न्यूमोकॉकल कंजुगेट वैक्सीन (न्यूमोनिया को कम करता है) और एचपीवी वैक्सीन (सर्वाइकल कैंसर को रोकता है) कुछ ऐसे टीके हैं, जिन्हें पैन इंडिया रोल आउट कर रहा है।


शिविरों का भी है महत्वपूर्ण योगदान

भारत का यूआईपी अब दुनिया भर में किए जा रहे सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों में से एक है, लेकिन हमें अभी भी पूरी तरह से प्रतिरक्षित देश बनने के लिए सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को कम करना होगा। भारत में लोगों को स्वस्थ बनाने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और शिविरों के द्वारा भारत में कई तरह की बीमारियों को रोका जा रहा है।

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