सपना था डाक्टर बनने का, खूब रोई
श्रेया ने बताया कि उसका सपना डाक्टर बनने का है। ऐसे में जब लगा कि अब आगे की पढ़ाई नहीं हो पाएगी तो वो काफी मायूस हो गई थी और खूब रोई थी। श्रेया के पिता ने बताया कि इस बात को भी पत्रिका के माध्यम से उठाया गया। वहीं खुशी तब मिली जब सरकार ने ये निर्णय लिया कि आरटीई का दायरा अब 12 वीं तक का कर दिया गया है।
पत्रिका के पहल और प्रदेश सरकार के फैसले पर खुशी जताते हुए तिहारी जायसवाल कहते हैं कि पत्रिका की वजह से उनकी बच्ची को 2011 में शिक्षा का अधिकार मिल पाया था। वहीं आठवीं पास होने के बाद जो स्थिति बन रही थी उसे भी पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया था। सरकार ने इस दिशा में कदम उठा कर उनके जैसे कई परिवारों को राहत दिया है। वो सरकार और पत्रिका दोनों का आभार जताते हैं।
पत्रिका की पहल से साल 2011 में उनकी बच्ची को एडमिशन मिल पाया था। वहीं कक्षा आठवीं के बाद पढ़ाई छोडऩे की स्थिति निर्मित हो गई थी पत्रिका ने इस मामले को भी उठाया। सरकार ने इस पर ध्यान दिया और हम जैसे गरीबों की मदद की है। इसके लिए हम सरकार और पत्रिका दोनों के आभारी हैं।
तिहारी जायसवाल, अभिभावक