गृहमंत्री ने कहा कि सीमा सुरक्षा को चुस्त-दुरुस्त बनाने तथा सीमा प्रहरियों का तनाव और दबाव कम करने के लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन साल पहले इजराइल गया था। वहां सीआईबीएमएस को देखा। इसे जम्मू में दस किलोमीटर में शुरू किया गया है। असम की धूरी में साठ किलोमीटर सीमा पर नवम्बर-दिसम्बर में प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। तारबंदी वाली राजस्थान और पंजाब से सटी सीमा पर भी इस तरह की तकनीक का प्रयोग किया जाए।
राजनाथ सिंह ने बॉर्डर पर जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि सीमा पर तैनात प्रहरियों की परिवार से महीनों तक बात नहीं होती। बॉर्डर पर मोबाइल कनेक्टिविटिज नहीं रहती। अब एेसी व्यवस्था की जाएगी कि जवान अपने परिवार के सदस्यों से जब चाहें सीधे बात कर सकें। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने नक्सलवाद, आतंकवाद और कानून व्यवस्था के खतरे के हालात में करिश्माई काम किए हैं। इससे लगता है कि हमारा बीएसएफ सुर्दशन चक्र है।
गृहमंत्री ने कहा कि देश में साढ़े २२ हजार किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा हैं। इसमें से करीब १५ हजार ७०० किमी जमीनी कवर क्षेत्र है। जबकि शेष सात हजार किलोमीटर जल और पहाड़ी दुर्गम सीमा है। इनमें सबसे संवेदनशील भारत-पाकिस्तान बॉर्डर को मानते हैं। इसकी सुरक्षा और निगरानी में बीएसएफ पूरी तरह सक्षम है।
गृहमंत्री ने कहा कि एलओसी पर भी समस्या है। वहां सेना के जवान डटे हुए हैं। वहां भी सेना के साथ बीएसएफ जिम्मेदारी संभाल रही है। पाकिस्तान कश्मीर में जिस तरह के हालात पैदा करना चाहता है, उसके हौसले आज नहीं तो कल पस्त होंगे। दुनिया की कोई ताकत इसे रोक नहीं सकती। हमने अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की है। पड़ोसी है, उससे रिश्ते अच्छे बनाकर रखना चाहते है,ं लेकिन पड़ोसी एेसा है कि मानता ही नहीं। हरकतें करता रहता है। सीमा पर तैनात सुरक्षा बल हकीकत समझ चुके हैं कि एेसे पड़ोसी का इलाज कैसे करना है। जब जरूरत पड़ती है, उसका सही इलाज कर देते हैं।