प्रदेश मुख्यालय से बार-बार पुलिस कर्मचारियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने पर जोर दिया जाता है। पुलिस के उच्चाधिकारी जब भी जिलों में जाते हैं तो वे जवानों से आमजन और परिवादियों के साथ सद्व्यवहार करने की अपील करते हैं। पुलिस कर्मचारी व्यावहारिक ज्ञान महज पुलिस लाइन या अधिकारियों के सामने ही पेश करे हैं, लेकिन आमजन के सामने वे वर्दी की धौंस दिखाते हैं। पुलिस अधिकारी भी एेसे कर्मचारियों से परेशान हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हर मामलों में आमजन दोषी नहीं होते, कई मामलों में पुलिस कर्मचारी दोषी होते हैं। कई बार पुलिसकर्मी अपने पद व वर्दी का गलत उपयोग करते हैं। पुलिस अधिकारियों को भी अपने कर्मचारी का पक्ष लेना मजबूरी होती है। सदर थाना क्षेत्र का मामला पीडि़त के पक्ष में है, लेकिन पुलिस अपना रंग जरूर दिखाएगी।
वर्तमान में पुलिस महकमे के हालात खराब हैं। आमजन की कोई सुनवाई नहीं हो रही। आम आदमी को अपने सही मुकदमे दर्ज कराने के लिए भी आइजी व एसपी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, जबकि सरकार ने आदेश जारी कर रखा है कि थानों में परिवादी की एफआइआर दर्ज नहीं होती है तो एसपी कार्यालय से दर्ज कर संबंधित थाने भिजवाई जाए। दो दिन पहले कार चालक के साथ हैड कांस्टेबल की ओर से मारपीट करना गलत है। यह कानून के विरुद्ध है। अब हैड कांस्टेबल ने परिवादी पक्ष पर दबाव बनाने के लिए एफआइआर करवाई है, जिसमें एफआर लगनी चाहिए। पुलिस की छवि को खराब करने वाले कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
ओमप्रकाश जोशी, सेवानिवृत्त आरपीएस एवं वरिष्ठ अधिवक्ता