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बीकानेर

बीकानेर : वर्दी की आड़ में वसूली से दागदार होती पुलिस

bikaner news :बीकानेर जिले में पुलिस के चौथवसूली करने व वर्दी की धौंस दिखाकर लोगों से मारपीट करने के मामले अब सामने आने लगे हैं।

बीकानेरOct 16, 2019 / 01:39 am

Jitendra

bikaner news : Police stained due to recovery under uniform

बीकानेर : वर्दी की आड़ में वसूली से दागदार होती पुलिस

केस : १
हेलमेट नहीं पहनने पर युवक को थाने ले जाकर बेरहमी से पिटाई की। मामला मीडिया में आने के बाद मजबूरन जिला पुलिस के उच्चाधिकारियों को एक्शन लेना पड़ा। पुलिस अधीक्षक ने तीन जनों को लाइन हाजिर किया।
केस : २
एक रेस्टोरेंट संचालक के साथ रात को बेवजह मारपीट की। परिवादी ने पुलिस के उच्चाधिकारियों से शिकायत की। इस मामले में कोटगेट थाने के दो कर्मचारी लाइन जाहिर हुए।
केस : ३
रानीबाजार में करीब तीन साल पहले ट्रैफिक पुलिस के जवानों ने हेलमेट चैकिंग के दौरान एक बाइक सवार से मिठाई मंगवाकर गाड़ी छोड़ दी। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर तीनों को लाइन हाजिर किया, लेकिन बाद में बहाल कर दिया।
बीकानेर. प्रदेश में पुलिस की छवि को महकमे के ही अधिकारी-कर्मचारी दागदार कर रहे हैं। हार्डकोर अपराधियों से मिलीभगत, बजरी व रेत माफियाओं से सांठगांठ, आरोपियों से मिलकर परिवादियों को परेशान करने सहित चौथवसूली कर कई पुलिस अधिकारी-कर्मचारी महकमे की छवि धूमिल कर रहे हैं। प्रदेश में हाल ही कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनसे पुलिस की वर्दी दागदार हुई है।
बीकानेर जिले में पुलिस के चौथवसूली करने व वर्दी की धौंस दिखाकर लोगों से मारपीट करने के मामले अब सामने आने लगे हैं। पुलिसकर्मी वर्दी का जोर दिखाकर अपराधियों में डर पैदा करने की बजाय आमजन में डरा बैठा रहे हैं। हार्डकोर अपराधियों को शरण व उनकी मदद करने के आरोप में जिले के दो सिपाही निलंबित भी हो चुके हैं।
प्रशिक्षण देने पर जोर
प्रदेश मुख्यालय से बार-बार पुलिस कर्मचारियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने पर जोर दिया जाता है। पुलिस के उच्चाधिकारी जब भी जिलों में जाते हैं तो वे जवानों से आमजन और परिवादियों के साथ सद्व्यवहार करने की अपील करते हैं। पुलिस कर्मचारी व्यावहारिक ज्ञान महज पुलिस लाइन या अधिकारियों के सामने ही पेश करे हैं, लेकिन आमजन के सामने वे वर्दी की धौंस दिखाते हैं। पुलिस अधिकारी भी एेसे कर्मचारियों से परेशान हैं।
…पुलिस की मजबूरी
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हर मामलों में आमजन दोषी नहीं होते, कई मामलों में पुलिस कर्मचारी दोषी होते हैं। कई बार पुलिसकर्मी अपने पद व वर्दी का गलत उपयोग करते हैं। पुलिस अधिकारियों को भी अपने कर्मचारी का पक्ष लेना मजबूरी होती है। सदर थाना क्षेत्र का मामला पीडि़त के पक्ष में है, लेकिन पुलिस अपना रंग जरूर दिखाएगी।
दबाव बनाने के लिए एफआइआर
वर्तमान में पुलिस महकमे के हालात खराब हैं। आमजन की कोई सुनवाई नहीं हो रही। आम आदमी को अपने सही मुकदमे दर्ज कराने के लिए भी आइजी व एसपी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, जबकि सरकार ने आदेश जारी कर रखा है कि थानों में परिवादी की एफआइआर दर्ज नहीं होती है तो एसपी कार्यालय से दर्ज कर संबंधित थाने भिजवाई जाए। दो दिन पहले कार चालक के साथ हैड कांस्टेबल की ओर से मारपीट करना गलत है। यह कानून के विरुद्ध है। अब हैड कांस्टेबल ने परिवादी पक्ष पर दबाव बनाने के लिए एफआइआर करवाई है, जिसमें एफआर लगनी चाहिए। पुलिस की छवि को खराब करने वाले कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
ओमप्रकाश जोशी, सेवानिवृत्त आरपीएस एवं वरिष्ठ अधिवक्ता

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