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भुवनेश्वर

150वीं जयंती पर गांधी को भूल गयी नवीन पटनायक सरकार!

ऐसा लगता है जैसे अंदरूनी कलह में उलझी ओडिशा सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को भूले बैठी है…

भुवनेश्वरSep 18, 2018 / 04:53 pm

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gandhi ji

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(पत्रिका ब्यूरो,भुवनेश्वर): इसी दो अक्तूबर से गांधी जयंती के 150वें वर्ष की शुरुआत होने वाली है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर साल भर तक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लेते हुए कमेटियां गठित की है। पर ओडिशा जहां महात्मा गांधी आठ बार आए, शिविर आयोजित किया, उसी राज्य की सरकार में गांधी जयंती के प्रति जुम्बिश तक नहीं है। ऐसा लगता है जैसे अंदरूनी कलह में उलझी ओडिशा सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को भूले बैठी है।


बीते माह 21 अगस्त को गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ओडिशा में दो दिनी प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिले थे। उन्होंने सरकार से गांधी जयंती के कार्यक्रम पर भी बातचीत करते हुए कहा था कि गांधी शांति प्रतिष्ठान के लिए भुवनेश्वर में कार्यालय के लिए स्थान दें ताकि गतिविधियां संचालित की जा सके। मुख्यमंत्री सहमत हुए। पर बात आगे अब तक नहीं बढ़ी।

 

पता चला है कि गांधी विचारों के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया है। सरकार से ओडिशा में जिलास्तर पर गांधी शांति सेना, गांधी पर पुस्तकों और दुर्लभ वस्तुओं पर जिला और ब्लाक स्तर पर प्रदर्शनी लगाने की मांग की जाएगी।


ओडिशा में महात्मा गांधी

:- 23 मार्च 1921 को कटक आए कदम इ रसूल में पहली सभा की। काठजोड़ी नदी तट पर भारी जनसभा की।

:- 25 मार्च 1921 को भद्रक गए जहां पर गांधी मैदान में भीड़ भरी सभा की।
:- 26 मार्च 1921 को पुरी सत्यवादी गए जहां पर उत्कलमणि गोपबंधु दास का वन विद्यालय घूमे।

:- 29 मार्च 1921 को ब्रह्मपुर गए जहां पर बैरक ग्राउंड (अब स्टेडियम) में सभा की।
:- 19 अगस्त 1925 को उत्कलगौरव मधुसूदन दास के अनुरोध पर ओडिशा आए। उत्कल टेनरी देखा।

:- 4 दिसंबर 1927 को खादी के प्रचार के सिलसिले में भद्रक आए। वासुदेव पुर में बाढ़ की स्थिति देखी।
:- 22 दिसंबर 1928 को झारसुगुडा में कस्तूरबा के साथ आए। वहां से संबलपुर गए और मीटिंग की।

:- 5 मई 1934 में झारसुगुडा आए फिर संबलपुर व अनुगुल फिर पुरी गए।

:- 8 मई 1934 उत्कलमणि गोपबंधु की मूर्ति का अनावरण। हरिजन पदयात्रा पुरी से कटक तक की।
:- 21 मई 1934 जाजपुर के बड़चना से चंपापुर भेडा सालेपुर इंदुपुर बरी होकर 7 जून तक भद्रक में रहे।

:- 25 मार्च 1938 को पुरी में गांधी सेवा संघ के शिविर बेराबुई में सात दिन तक रहे।
:- 20 जुलाई 1946 को बालासोर, भद्रक, कटक और ब्रह्मपुर स्टेशन पर लोगों से मिले।

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