सबसे ज्यादा चिंता भाजपा खेमे में है, जिसकी वजह भी बड़ी है। दरअसल जिस दिन महाकोशल की जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा व बालाघाट के साथ ही विंध्य की दो लोकसभा सीटों शहडोल और सीधी में मतदान चल रहा था, उसी समय उसके स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दमोह में चुनावी सभा को सम्बोधित कर रहे थे।
उनकी ट्रांजिट विजिट भी जबलपुर में हुई थी। दमोह में तो दूसरे चरण में 26 अप्रेल को मतदान होना है। लेकिन साधने की कोशिश पहले चरण की ही थी। इसके बावजूद इन छह सीटों में आठ फीसदी कम मतदान हुआ। दमोह से लगी जबलपुर सीट में भी यह अंतर आठ फीसदी का था। जो वोटों की संख्या के लिहाज से करीब डेढ़ लाख का है।
पांचवें दौरे पर पीएम मोदी
पहले चरण की कमी की भरपाई करने के लिए भाजपा जमीनी प्रचार अभियान का प्लान बनाया है। इसके तहत सोशल व वोटर कनेक्ट पर ज्यादा जोर है। प्रधानमंत्री मोदी चुनाव प्रचार अभियान को धार देने के लिए बुधवार को राज्य के पांचवें दौरे पर राज्य की राजधानी सहित तीन सीटों सागर और होशंगाबाद के हरदा में हुंकार भरेंगे। इससे पहले मोदी जबलपुर में रोड शो, बालाघाट, पिपरिया (होशंगाबाद) और दमोह में सभा को संबोधित कर चुके हैं। यह पहला मौका है जब एक दिन में पीएम के दौरे तीन सीटों पर हो रहे हैं। उधर, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मंगलवार को तीनसीटों पर पहुंचे।
हर सीट पर फोकस
चुनावी माहौल को गर्म करने और कार्यकर्ताओं, मतदाताओं में उत्साह भरने भाजपा-कांग्रेस ने हर सीट पर फोकस की रणनीति बनाई है। सीएम डॉ. मोहन यादव के दौरे बढ़े हैं। पूर्व सीएम शिवराज सिंह भी मोर्चे पर डटे हैं। स्टार प्रचारकों के इतर भी पहले चरण की सीटों से खाली हुए नेताओं को बाकी जगहों पर भेजा जा रहा है। प्लान ऐसा है कि दिनभर कोई न कोई नेता किसी न किसी सीट पर प्रचार में हिस्सा लेगा। इसमें महापौर से लेकर दूसरे नेता शामल हैं। कांग्रेस की ओर से कमलनाथ, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, अरुण यादव, विवेक तन्खा, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सहित अन्य नेता मोर्चा संभाल रहे हैं।
वोट की चोट केअपने-अपने तर्क
पहले चरण में गिरे मतदान को लेकर खलबली सभी दलों में है। यह अलग बात है कि भाजपा मनोवैज्ञानिक बढ़त के लिए उसके समर्थक वोटरों के निकलने और कांग्रेस कम मतदान को अपनी जीत बता रही है, लेकिन कोई खास संदेश निकला नहीं है। दोनों ही दलों की ओर से समीक्षा की जा रही है। भाजपा ने हर बूथ पर 370 अतिरिक्त वोट का दावा किया था, जो धरा रहा गया, इसलिए अब विधायकों से लेकर जिलाध्यक्षों से जानकारी ली जा रही है। जिन्होंने गर्मी और शादी सीजन से लेकर खेती किसानी के सामान्य तर्क ही कम वोटिंग को लेकर दिए जा रहे हैं। जो गले नहीं उतर रहे हैं। इसलिए पार्टी ने नारा और एजेंडे में बदलाव का तरीका अपनाया है।