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भोपाल

खतरे में MP: जिला चिकित्सालय के ऑक्सीजन पाइप लाइन में हुआ लीकेज! रस्सी के सहारे रोक रहे ऑक्सीजन प्रेशर

पुरानी घटनाओं से भी नहीं लिया सबक, अब यहां भी हादसा की आशंका…

भोपालOct 09, 2019 / 11:45 am

दीपेश तिवारी

खतरे में MP: जिला चिकित्सालय के ऑक्सीजन पाइप लाइन में हुआ लीकेज!

खतरे में MP: जिला चिकित्सालय के ऑक्सीजन पाइप लाइन में हुआ लीकेज!

भोपाल। विभिन्न राज्यों के अस्पतालों में आॅक्सीजन सिलेंडरों के चलते हुए हादसों में बावजूद मध्यप्रदेश में अब तक आॅक्सीजन सिलेंडरों को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।

पूर्व में जहां गोरखपुर उत्तरप्रदेश के बीआरडी मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन खत्म होने से 33 बच्चों की मौत की बात सामने आई थी।
वहीं मध्य प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में भी कुछ समय पहले ऑक्सीजन गैस की सप्लाय बंद होने की आशंका को अस्पताल की तीसरी व पांचवीं मंजिल पर इलाज के लिए भर्ती मरीजों की मौत से जोड़ कर देखा गया।
बदहाली के बीच MP Hospitals…

इसके बावजूद मध्यप्रदेश के राजगढ़ के जिला चिकित्सालय में संचालित होने वाला एसएनसीयू वार्ड अभी भी इन दिनों बदहाली के बीच चल रहा है।

इसमें निर्धारित संख्या से हर दिन भले ही बच्चों की संख्या दोगुनी रहती हो। लेकिन अन्य व्यवस्थाओं के नाम पर हो रही लापरवाही के चलते किसी भी दिन कोई हादसा हो सकता है।
खतरे में MP: जिला चिकित्सालय के ऑक्सीजन पाइप लाइन में हुआ लीकेज!
लंबे समय से मेंटेनेंस के अभाव में आक्सीजन पाइप लाइन अब जगह-जगह से प्रेशर छोडऩे लगी है। प्रॉपर तरीके से इन्हें सही तरीके से नहीं कसने से पूरा आक्सीजन भी बच्चों तक पहुंचने में तकलीफ हो सकती है। प्रबंधन कहता है कि हम वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले में कई बार अवगत करा चुके हैं।
फिर सवाल उठता है कि जब वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही एसएनसीयू वार्ड के प्रभारी इस मामले से अनभिज्ञ नहीं है तो फिर किसी हादसे का इंतजार क्यों। करीब दस साल पहले एसएनसीयू वार्ड का निर्माण किया गया था। तभी से इस वार्ड में पुरानी सामग्री डली हुई है।
जानकार बताते हैं कि इनका समय-समय पर मेंटेनेंस और बदलाव जरूरी है। लेकिन इस बार ध्यान देने की जगह अधिकारी अन्य व्यवस्थाओं में ज्यादा ध्यान देते हैं।

इससे यहां की व्यवस्थाएं लगातार चरमराती जा रही हैं। हालात यह तक पहुंच गए हैं कि अब बच्चों के वेंटीलेटर तक पहुंचने वाला आक्सीजन की पाइप लाइन भी डेमेज होने लगी है।
एक नहीं कई जगह रस्सियों के सहारे इसके लीकेज को रोका जा रहा है। लेकिन यह व्यवस्था स्थाई नहीं है और कभी भी छोटी सी अनदेखी भारी पड़ सकती है।

छह की जगह खरीदा 18 लाख का वेंटिलेटर
एसएनसीयू वार्ड में हमेशा एक वेंटिलेटर पर दो से तीन बच्चे भर्ती रहते हैं। ऐसे में लंबे समय से वेंटिलेटर की मांग चल रही थी। नवजात बच्चों के वेंटिलेटर की कीमत पांच से सात लाख रुपए होती है।
22 लाख के बजट में 18 लाख का एक वेंटिलेटर खरीदा गया और वहां भी बड़े बच्चों या व्यस्क लोगों का खरीद दिया। इससे यह एसएनसीयू वार्ड में उपयोग ही नहीं हो रहा।

इसको इंस्टाल करने के लिए कंपनी से कर्मचारी आए। लेकिन पाइप लाइन छोटे वेंटिलेटर के हिसाब से होने के कारण इसे इंस्टाल ही नहीं कर सके। यदि इस वेंटिलेटर को लगाया जाएगा तो लगभग 50 लाख रुपए पाइप लाइन पर खर्च हो सकते हैं। ऐसे में इस वेंटिलेटर को खरीदने का औचित्य समझ से परे है।
वरिष्ठों को बताया दिया
आक्सीजन पाइप लाइन को लेकर मैं कई बार पत्राचार कर चुका हूं। लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में पाइप लाइन का लीकेज रोकने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा। वहीं वेंटीलेटर लेने को लेकर मुझसे कोई बात या जानकारी नहीं ली गई। यह कहां से कैसे आया मुझे जानकारी नहीं है।
– डॉ. आरएस माथुर, एसएनसीयू प्रभारी राजगढ़
इधर,तड़पती रहती हैं महिलाएं, पैसे लिए बिना स्टाफ नहीं करता इलाज

वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के शिवपुरी स्थित जिला अस्पताल की भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। जिसके चलते यहां सोमवार की सुबह एक प्रसूता की मौत के बाद मेटरनिटी विंग में भर्ती प्रसूताओं के परिजनों का आक्रोश सामने आ गया।
प्रसूताओं के परिजनों का कहना था कि जिला अस्पताल में बिना पैसे के प्रसव नहीं होते हैं। हालात यह हैं कि यहां अगर स्टाफ को पैसे नहीं दो तो प्रसूता की वार्ड में ही डिलेवरी हो जाती है, लेकिन नर्सें ध्यान तक नहीं देतीं।
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में सोमवार की सुबह नरवर निवासी शकुंतला पत्नी शंकर जाटव की सीजर (ऑपरेशन से डिलेवरी) के बाद कथित चिकित्सकीय लापरवाही के कारण मौत हो गई थी।

शंकुतला के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि के लिए जब पत्रिका ने मेटरनिटी विंग में मौजूद अन्य प्रसूताओं और उनके परिजनों से बात की गई तो प्रसूताओं के परिजनों ने अस्पताल के स्टाफ पर खुल कर आरोप लगाए कि यहां बिना पैसे लिए कोई कुछ नहीं करता है।
प्रत्येक प्रसव के एवज में पैसों की मांग की जाती है। महिलाओं के अनुसार लापरवाही का आलम यह है कि पैसे न देने पर प्रसूताओं को दर्द होता रहता है लेकिन उन्हें प्रसव के लिए नहीं ले जाया जाता। वार्ड में ही प्रसव हो जाते हैं, बीती रात भी यहां दो महिलाओं को वार्ड में ही प्रसव हो गया।

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