हमेशा परिवारवाद से दूर रहने की बात करने वाली पार्टी ने बीजेपी के कद्दावर नेता बाबूलाल गौर की पुत्रृवधु पूर्व महापौर कृष्णा गौर को मैदान में उतारा है।
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पीएम की बात पर नहीं किया गौर
दो माह पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने आए थे तो मोदी ने कहा था कि गौर साहब एक बार और। इसके बाद से पार्टी से दरकिनार चल रहे गौर को दोबारा टिकट देने की चर्चाएं शुरू हो गई थी। गौर साहब भी बार-बार मोदी की वो बात याद दिलाते रहते थे कि जब प्रधानमंत्री मोदी कहकर गए हैं तो मेरा टिकट तो कट ही नहीं सकता है। पार्टी के भीतर कुछ असंतुष्ट लोगों का कहना है कि मोदी की बात पर किसी ने गौर नहीं किया। अंततः गौर की जगह उनकी बहू को टिकट दे दिया गया।
कौन है कृष्णा गौर
कृष्णा गौर भाजपा महिला मोर्चा की पदाधिकारी भी हैं और भोपाल नगर निगम की महापौर रह चुकी है। कृष्णा गौर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के दिवंगत बेटे की पुत्र वधु है।
महापौर रहने के साथ ही कृष्णा गौर काफी समय से गोविंदपुरा क्षेत्र में सक्रिय थी। इसी लिए कृष्णा गौर को हमेशा से ही बाबूलाल गौर के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था।
88 उम्र में पार्टी से किनारे कर दिए गए गौर साहब चुनाव लड़ने के लिए कई बार इच्छा जाहिर कर चुके थे। पिछले दिनों हुई रायशुमारी में भी गौर ने गोविंदपुरा सीट से अपनी दावेदारी जताई। इसके अलावा अपनी पुत्रवधू कृष्णा गौर के नाम का भी प्रस्ताव रखा।
कृष्णा के समर्थन में किया था प्रदर्शन
इससे पहले गोविंदपुरा से टिकट नहीं देने पर कृष्णा गौर के समर्थकों ने बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर टिकट की मांग की थी। उनके समर्थक काफी समय से कृष्णा गौर को टिकट दिलाने की मांग कर रहे थे।
तो दिखाए थे बगावती तेवर
दोनों को आशंका थी कि पार्टी उन्हें टिकट नहीं देना चाहती है। इसलिए पहले ही दोनों ने बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिया था। कई बार दोनों ने ही निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी चुनाव लड़ने की अटकलें लगने लगी थी। क्योंकि दोनों ही कांग्रेस पार्टी के संपर्क में थे।