ज्ञानचंदानी स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मंत्री से मिलने पहुंचे। उन्हें इसे लेकर एक ज्ञापन भी दिया। उन्हें अवगत कराया गया कि कोलार क्षेत्र की आबादी की तुलना में स्वास्थ्य सुविधा कम है। कम आय वाले लोगों को भी निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराना पड़ता है।
उन्होंने मांग की कि यहां पर अत्याधुनिक सिविल अस्पताल का निर्माण कराया जाए, जिसमें समस्त सुविधाओं के साथ ही इलाज के लिए विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम भी पूरे समय मौजूद रहे। स्वास्थ्य मंत्री ने लोकसभा चुनाव के बाद इस समस्या के निदान के लिए जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया।
आश्चर्यजनक बात तो यह है कि नियमों में संशोधन के बारे में संबंधित नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी कमिश्नर और जनप्रतिनिधि महापौर को जानकारी ही नहीं है। इन नगर निगमों के कमिश्नर और महापौर कह रहे हैं कि हम काफी पहले संविलियन कर चुके। जब नियमों में ही सरकार ने सवा महीने पहले संशोधन किया है तो कर्मचारियों का विधिवत संविलियन इसके पहले कैसे हो सकता है।
जबकि वास्तविकता यह है कि कर्मचारियों के संविलियन के लिए कमिश्नर को एक समिति का गठन करना चाहिए था, परन्तु नियमों में संशोधन के सवा महीने बाद भी प्रदेश की किसी भी नगर निगम में ऐसी किसी समिति का गठन नहीं हुआ है। समिति में आयुक्त अथवा उनके द्वारा अपर आयुक्त स्तर का नाम निर्देशित अधिकारी अध्यक्ष होगा।
जबकि निगम की वित्त शाखा का वरिष्ठ अधिकारी, नगरीय प्रशासन एवं विकास का संभागीय संयुक्त संचालक समिति के सदस्य और नगर निगम की स्थापना शाखा का प्रभारी अधिकारी सदस्य सचिव होंगे । यह समिति संविलियन के लिए कर्मचारियों की जानकारी लेकर परीक्षण उपरांत अपनी अनुशंसा सहित रिपोर्ट मंजूरी के वास्ते मेयर-इन-कौंसिल को भेजेगी।
वर्ष 2014 में नगर निगम भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर की सीमा वृद्धि की गई थी । भोपाल नगर निगम में कोलार नगर पालिका और नजदीक की ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया था । जबकि बाकी तीन नगर निगम में ग्राम पंचायतें ही शामिल की गई थी । इधर छिंदवाड़ा और मुरैना नगर पालिका को अपग्रेड कर ग्राम पंचायतों को शामिल कर नगर निगम बनाया गया था।
कहां कितने निकाय और ग्राम पंचायतों का हुआ था विलय
भोपाल नगर निगम- कोलार नगर पालिका के 1 से 25 नंबर के वार्ड और 8 ग्राम पंचायत का विलय किया गया।
इंदौर नगर निगम- सीमा वृद्धि में 23 ग्राम पंचायतों का विलय किया गया था।
जबलपुर नगर निगम – सीमा वृद्धि में 55 ग्रामों का विलय नगर निगम में हुआ था।
ग्वालियर नगर निगम – यहां पर सीमा वृद्धि में 72 ग्राम नगर निगम में मर्ज हुए थे।
छिंदवाड़ा नगर निगम – नगर पालिका से नगर निगम बनाने पर सीमा वृद्धि में 24 ग्राम और 18 ग्राम पंचायतों का विलय किए गए थे।
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