इन महलों को पुरातन स्वरूप में वापस लाने के लिए लाइम प्लास्टर से मरम्मत का काम किया जा रहा है। लाइम प्लास्टर में सबसे पहले चूने को 21 दिन के लिए बुझाया(गलाया) जाता है। इसके बाद इसमें रेत मिलाई जाती है। यह मिश्रण तैयार होने के बाद इसमें सुरखी(ईंट का चूरा), उड़द दाल और मैथी का पानी, गुड़, बेल, जूट की रस्सी(सन) का मिश्रण मिलाया जाता है। यह मसाला उतना ही तैयार किया जाता है, जितनी आवश्यकता होती है। इससे किया गया काम काफी देर में दिखाई देता है। कई दिनों तक काम होने के बाद ही इन पुराने महलों का निखरा रूप से अब सामने आ पाया है।
महलों में पूर्व में राजस्व, नगर परिषद एवं न्यायालय विभाग के अधिकारियों के निवास थे। अधिकारियों के निवास होने पर इन महलों में आधुनिक बदलाव किए गए थे। पालकी महल में अलग से किचन और बाथरूम बनाया गया था। इन सभी निर्माणों तोड़ा गया है। इन पर वाटर ब्लास्टिंग एवं सेंड ब्लास्टिंग से सफाई की गई है।
इन भवनों में सालों से काम नहीं हुआ था। अधिकारियों के निवास होने पर इन महलों में नए तरीके से काम किए गए थे। ओरछा के विश्व विरासत शहर में शामिल होने एवं यहां पर श्रीरामराजा लोक का प्रोजेक्ट आने के बाद से अब महलों के दिन भी फिरने लगे हंै।