शनिवार को हमीदिया में उस समय विवाद की स्थिति बन गई जब मरीज के परिजन ने डॉक्टर को अपनी परेशानी बताई। दरअसल, जहांगीराबाद निवासी इंद्रा यादव के पति रज्जाक लकवा पीडि़त हैं। वे पांच दिन से हमीदिया में भर्ती हैं।
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इंद्रा का कहना है कि डॉक्टर इलाज की जगह जांच में ही समय बर्बाद कर रहे हैं। शनिवार सुबह जूनियर डॉक्टर ने सीटी स्कैन कराने को कहा, तो उसने बताया कि वार्ड ब्यॉय नहीं है। छह दिन से स्ट्रेचर धका रही हूं, पैरों में सूजन आ गई है।
यह जूनियर डॉक्टर ने कहा-इलाज चाहिए तो करना ही पड़ेगा, आप क्या चाहती हैं कि मैं स्ट्रेचर धकाऊं। इसके बाद जूनियर डॉक्टर ने मरीज को वार्ड से बाहर कर दिया।
पर्ची गुम हुई तो खाना नहीं दिया
पांच दिन में मरीज को एक दिन भी खाना नहीं दिया। इंद्रा का कहना है कि मरीजों को खाना देने के लिए भर्ती पर्ची लगती है। पर्ची अस्पताल के स्टाफ ने गुमा दी। हमें खाना नहीं दिया जा रहा। विरोध किया तो कहा भर्ती पर्ची दोबारा बनवा लो, पर ऑपरेटर ने पर्ची बनाने से मना कर दिया।
आठ घंटे बाद मिला इलाज
रज्जाक को 14 जुलाई को पैरालिसिस अटैक आया। दोपहर 3 बजे हमीदिया लाए। एक घंटे बाद इमरजेंसी में डॉक्टर आए, पर इलाज नहीं किया। बार-बार बोलने के बावजूद किसी ने नहीं देखा। आठ घंटे बाद रात नौ बजे डॉक्टर आए और मेडिकल वार्ड तीन में रैफर कर दिया। वहां भी रज्जाक को रातभर स्ट्रेचर पर ही रखा गया।
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हटा दिया बेड से
इंद्रा ने बताया कि रज्जाक को पांच दिन में चार बार बिना बताए ही वार्ड से बाहर कर दिया। पहले रज्जाक को यूनिट दो के बेड से हटा दिया। हमने विरोध किया तो डॉक्टर ने यूनिट तीन में रैफर कर दिया। यहां भी बेड नहीं थे, तो रात भर स्ट्रेचर पर ही रहना पड़ा। बाद में मेडिकल एक में भर्ती कर वहां से भी भगा दिया गया।
अस्पताल स्टाफ द्वारा गड़बड़ी की गई तो कार्रवाई की जाएगी। हम मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए काम कर रहे हैं। – डॉ. एके श्रीवास्तव, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल