भूट्ट से मक्का निकालने का यंत्र ६० रुपए में क्यों, यह तो और भी सस्ता होना चाहिए। यह सामान्य किसान की पहुंच से दूर है। पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसान को इसकी जरुरत नहीं है, लेकिन कम जमीन वाले किसान के लिए तो यह भी महंगा है। कृषि की तकनीक सस्ती होगी, तब ही किसानों की आय बढ़ेगी।
राधा मोहन सिंह ने वैज्ञानिकों को एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि जब मैं मंत्री बना उसके २-३ महीने बाद ही मेरे एक कांग्रेस सांसद मित्र ने मुझसे पूछा कि कई सिंचाई परियोजनाएं जो १० साल २५ साल पहले लंबित पड़ी हुई है, वे कब तक पूरी होगी? इस पर मैंने उन्हें कहा कि ४८ साल तक राज करने के बाद भी वे सिंचाई परियोजनाएं पूरी नहीं कर पाए और मेरे मंत्री बनने के तीन महीने बाद ही सिंचाई परियोजनाएं के सवाल पूछने लग गए। उन्होंने कहा कि ये लंबित परियोजनाएं हमने पूरी कर दी और कुछ पूरी होने वाली है।
राधा मोहन ने कहा कि यह तरक्की की बात है कि अब कृषि वैज्ञानिक भी गांव गोद ले रहे हैं। अब तक करीब १५ हजार गांव गौद लिए गए है। अब हम इसका दायरा बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि समाज मजबूत नहीं है इसलिए भविष्य मुशिकल है। किसानों को मजबूत करने के भाव से हमें काम करना होगा। पहले न इ-मार्केट था न जैविक खेती। इन पर यदि १० साल पहले काम किया गया होता तो परिस्थितियां अलग होती।