हम सुबह छह सात बजे से गांव से चलकर 10-11 बजे तक मंडी आ जाते हैं, बोली दो बजे तक लगती है। बोली और तौल के बाद भुगतान में पूरा दिन बीत जाता है। इस दौरान मंडी में भोजन, पीने का पानी, विश्राम आदि की कोई व्यवस्था नहीं है।
जाहर सिंह भदौरिया, किसान, रूपसहायकापुरा
-किसानों को मंडी में कोई सुविधा नहीं है, कैंटीन, शौचालय और पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है। भाव भी अच्छा नहीं मिल रहा है, किसान ट्रैक्टर लेकर आता है तो भाड़ा व अन्य व्यवस्थाओं में भी खर्च हो जाता है।
जंगबहादुर सिंह, किसान
– मंडी में मनमानी हो रही है, बोली लगाने बाद पक्की पर्ची तक नहीं देते। टैक्स की चोरी करते हैं। बोली भी समय पर नहीं लगाते। लेबर भी किसान दे रहा है और बोरी भी 500 ग्राम की जगह 700 ग्राम काट रहे हैं। कैंटीन, पेयजल, विश्राम आदि कुछ नहीं है।
जंगबहादुर सिंह, किसान
-मंडी में किसानों की कोई सुनवाई नहीं है। न तो अच्छा भाव मिल रहा है और न ही कोई अन्य सुविधा है। पीने का पानी, भोजन की व्यवस्था तक नहीं है। मंडी प्रशासन बोली थी देर से लगाता है। किसान एक ट्रॉली तुलवाने के लिए दिन भर पड़ा रहता है।
अरुण कुमार, किसान जौरीकापुरा
कथन-
घुमंतू परिवार व्यवस्थाएं बिगाड़ रहे हैं, हमने पत्र कलेक्टर को लिखा था, लेकिन पहले विधानसभा चुनाव आ गए और बाद में एसडीएम से पहल की तो उनका तबादल हो गया। अब तो लोकसभा चुनाव के बाद ही कुछ हो पाएगा, समस्या तो है।
राकेश यादव, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, भिण्ड।