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भीलवाड़ा

लालफीताशाही के जाल में भीलवाड़ा मंडी के नीलामी चबूतरे

प्रदेश की अतिविशिष्ट श्रेणी में शामिल भीलवाड़ा कृषि उपज मंडी समिति में लाखों की लागत से निर्मित नीलामी चबूतरों पर प्रशासन की अनदेखी से व्यापारियों ने फिर कब्जे कर लिए है। हालात ये है कि जिले के विभिन्न हिस्सों से कृषि ङ्क्षजस लेकर पहुंच रहे किसानों को अपनी उपज मंडी के खुले हिस्से में रखनी पड़ रही है। एेसे में मंडी परिसर में ही वाहनों की आवाजाही से मक्का व गेहूं के ढेर पहियों तले कुचल कर नष्ट भी हो रहे है।
 

भीलवाड़ाOct 18, 2019 / 12:40 pm

Narendra Kumar Verma

ajmer

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लालफीताशाही के जाल में भीलवाड़ा मंडी के नीलामी चबूतरे

भीलवाड़ा। प्रदेश की अतिविशिष्ट श्रेणी में शामिल भीलवाड़ा कृषि उपज मंडी समिति में लाखों की लागत से निर्मित नीलामी चबूतरों पर प्रशासन की अनदेखी से व्यापारियों ने फिर कब्जे कर लिए है। हालात ये है कि जिले के विभिन्न हिस्सों से कृषि ङ्क्षजस लेकर पहुंच रहे किसानों को अपनी उपज मंडी के खुले हिस्से में रखनी पड़ रही है। एेसे में मंडी परिसर में ही वाहनों की आवाजाही से मक्का व गेहूं के ढेर पहियों तले कुचल कर नष्ट भी हो रहे है।
मेवाड़ की प्रमुख कृषि उपज मंडी समिति में भीलवाड़ा कृषि उपज मण्डी समिति का नाम शुमार है। यहां राजस्व के बढ़ते ग्राफ से राज्य सरकार ने 20 मई 2016 को मंडी को ए श्रेणी से सुपर ए श्रेणी में शामिल किया है। सरकार ने मंडी का नाम जरूर बदल दिया, लेकिन यहां पसरी अफसरशाही एवं लाल फीताशाही के चलते मंडी की व्यवस्था नहीं बदल पाई है। मौजूदा स्थिति ये है कि मंडी का अधिकांश हिस्सा फिर से अवैध कब्जे की चपेट में आ गया है।
राज्य सरकार ने जिले के विभिन्न हिस्सों से कृषि जिंस लेकर आने वाले किसानों की सुविधा के लिए मंडी परिसर में तीस लाख रुपए की लागत से नीलामी चबूतरा बना रखे है, लेकिन चबूतरों पर कब्जा कर स्थानीय व्यापारियों ने ही अपना व्यवसायिक केन्द्र बना दिया है।
हम, कहां रखे हमारी उपज
कोटड़ी,सवाईपुर,मांडलगढ़ क्षेत्र के किसानों ने बताया कि वो रोजाना तीन से चार हजार बोरी मक्का, चार सौ बोरी गेहूं तथा पचास से अधिक चने की बोरी लेकर मंडी में आ रहे है। उनकी सुविधा के लिए सरकार ने यहां चार प्लेटफार्म बना रखे है, लेकिन सभी पर स्थानीय व्यापारियों ने कब्जे कर अपनी दुकान जमा रखी है। एेसे में उन्हें मंडी प्रांगण में खुले में कृषि जिंस के ढेर लगाने पड़े रहे है। मौसम खराब होने की स्थिति में नुकसान झेलना पड़ता है। वही मंडी परिसर में दिन भर वाहनों की आवाजाही बनी रहने से अधिकांश वाहन मक्की के ढेरों के बीच से निकल की उनकी उम्मीदें कुचल रहे है
प्रशासन को किया था पाबंद
राजस्थान पत्रिका के समाचार अभियान पर तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव (कृषि) पी के गोयल भी मंडी पहुंचे। मंडी से कब्जे हटवाए तथा भविष्य में कब्जे नहीं हो, इसके लिए स्थानीय प्रशासन को नियमित रूप से मंडी की जांच करते हुए दोबारा अतिक्रमण नहीं होने देने के लिए पाबंद किया था।मंडी प्रशासन की चुप्पीकिसानों को सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने नीलामी चबूतरे का निर्माण कराया, लेकिन नीलामी चबूतरे पर कुछेक लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा । ऐसे में किसानों को उपज खुले में रखनी पड़ रही है। मंंडी प्रशासन भी अवैध कब्जों को लेकर चुप्पी साधे है।
मुरली ईनाणी, अध्यक्ष भीलवाड़ा खाद्यान्न व्यापार संघ भीलवाड़ा

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