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भरतपुर

BHARATPUR NEWS : ख्यातनाम साहित्यकार रांगेय राघव को भूले ‘कर्मस्थली’ के लोग

वैर(भरतपुर ). People of ‘Karmasthali’ forgot the famous Writer Rangey Raghav पहली बार ऐसा हुआ कि 12 सितम्बर को वैर की धरती पर न तो कहीं किसी ने कविता सुनाई, न साहित्यिक चर्चा हुई और न ही किसी ने उस ख्यातनाम साहित्यकार की याद में कहीं फूल चढ़ाए…।

भरतपुरSep 12, 2019 / 09:27 pm

shyamveer Singh

BHARATPUR NEWS : ख्यातनाम साहित्यकार रांगेय राघव को भूले 'कर्मस्थली' के लोग

BHARATPUR NEWS : ख्यातनाम साहित्यकार रांगेय राघव को भूले ‘कर्मस्थली’ के लोग

वैर(भरतपुर ). People of ‘Karmasthali’ forgot the famous Writer Rangey Raghav पहली बार ऐसा हुआ कि 12 सितम्बर को वैर की धरती पर न तो कहीं किसी ने कविता सुनाई, न साहित्यिक चर्चा हुई और न ही किसी ने उस ख्यातनाम साहित्यकार की याद में कहीं फूल चढ़ाए…। जी हां, हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य साहित्यकार व अल्पायु (३९ वर्ष) में ही 166 कृतियों की रचना करने वाले साहित्यकार डॉ. रांगेय राघव को उनकी कर्मस्थली यानी वैर की जनता भुला चुकी है। डॉ. रांगेय राघव ने अपने 39 साल के जीवन काल में से 30 साल वैर में बिताए। अपने लेखन से पूरे देश में वैर को पहचान दिलाने वाले साहित्यकार रांगेय राघव की 12 सितम्बर को पुण्यतिथि थी लेकिन वैर के किसी आमजन व प्रबुद्धजन को उनकी पुण्यतिथि याद नहीं रही। यही वजह है कि हर वर्ष डॉ. रांगेय राघव की पुण्यतिथि पर कॉलेजों व स्कूलों में उनकी याद में साहित्यिक आयोजन होते थे लेकिन इस बार कहीं पर कोई आयोजन नहीं हुआ।

नहीं चढ़े फूल, जमी रही धूल…
हर वर्ष 12 सितम्बर को वैर के महाविद्यालयों व विद्यालयों में डॉ. रांगेय राघव की पुण्यतिथि पर काव्य पाठ, साहित्यिक चर्चाएं व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते थे। उनकी पुण्यतिथि पर गुरुवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में स्थित डॉ रांगेय राघव की प्रतिमा पर श्रंद्धाजलि देने कोई भी संगठन या समाज के लोग नहीं पहुंचे। बल्कि डॉ. साहब की प्रतिमा की एक आंख मिट्टी से पूरी तरह से ढंकी हुई थी और चबूतरे पर गंदगी फैली हुई थी।

सुनिए भूल की कहानी…
डॉ. रांगेय राघव साहब मेरे प्ररेणास्त्रोत रहे हैं। मैं भी साहित्य प्रेमी हूं। मुझे उनके जन्म दिन की तिथि तो याद है। लेकिन पुण्यतिथि के बारे में भूल गया। हालांकि गत वर्ष हमने विद्यालय में स्थित डॉ. रांगेय राघव की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर छात्रों को उनके स्वर्णिम युग के बारे में बताया था।
-सुरेश शर्मा, प्राचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय वैर।
मुझे डॉ. रांगेय राघव की पुण्यतिथि पहले याद थी। लेकिन गुरुवार को भूल गया और इस बार कॉलेज में कोई भी कार्यक्रम नहीं करवा पाए। गत वर्ष कॉलेज में काव्य गोष्ठी का कार्यक्रम रखवाया था।
– डॉ. बालकृष्ण श्रोत्रिय, प्राचार्य, श्रीरांगेय राघव महाविद्यालय वैर।
डॉ. राघव की पुण्यतिथि के बारे में मेरे ध्यान से निकल गया। गत वर्ष कॉलेज में वाद संगोष्ठी का कार्यक्रम रखवाया था।
-डॉ पवन धाकड़, प्राचार्य, पीडी गल्र्स कॉलेज वैर


डॉ. रांगेय राघव का जीवन परिचय
डॉ. रांगेय राघव मूल नाम तिरूमल्लै नंबाकम वीर राघव आचार्य था। लेकिन उन्होंने अपना साहित्यिक नाम ‘रांगेय राघवÓ रखा। इनका जन्म 17 जनवरी, 1923 को श्री रंगाचार्य के घर हुआ था। इनकी माता कनकवल्ली और पत्नी सुलोचना थीं। इनका परिवार मूलरूप से तिरुपति, आंध्र प्रदेश का निवासी था। लेकिन डॉ. रांगेय राघव ने अपने जीवनकाल 39 साल में से 30 साल वैर में गुजारे। इस दौरान कुल 166 कृतियों का सृजन किया। 1962 में उन्हें कैंसर रोग से पीडि़त बताया गया था। उसी वर्ष 12 सितंबर को उन्होंने मुम्बई में देह त्यागी।

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