शहर में सेवर स्थित राजकीय शिशुगृह में वर्तमान में 17 बच्चे आवासरत हैं। इसमें सात बच्चे एक साल के आसपास के हैं। शिशुगृह में करौली व सवाईमाधोपुर के इलाके में मिले अनाथ व लावारिस बच्चे भी रह रहे हैं। जनवरी 2016 से अभी तक 26 बालक-बालिकाओं को बाल कल्याण समिति के जरिए लीगल फ्री किया जा चुका है। इसमें से 21 बच्चों की कारा एजेंसी के जरिए अडॉप्शन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। वहीं, इसके अलावा कुछ समय पहले चार बच्चों को भी लीगल फ्री किया है जबकि वर्तमान में सात बच्चों की प्रक्रिया चल रही है।
शहर में अनाथ, बेसहारा बच्चों के पालन-पोषण के लिए तीन शिशुगृह संचालित हैं। इसमें राजकीय गृह में 17, अपना घर आश्रम में 88 और एक एनजीओ द्वारा संचालित शिशुगृह में 5 बच्चे आवासरत हैं।
सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के जरिए देश में अनाथ व बेसहारा बच्चों को अडॉप्शन की प्रक्रिया होती है। यह संस्था नोडल बॉडी की तरह काम करती है। विशेष रूप से अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्म-समर्पण करने वाले बच्चों के अडॉप्शन के लिए काम करती है। दंपती को कारा में ऑन-लाइन रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। फिर प्राथमिकता के आधार पर नम्बर आता है। एक दंपती को तीन बार चांस मिलला है।
सरोज लोहिया, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति