जसवंत- वसुंधरा हुए थे आमने सामने
जसवंतङ्क्षसह ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से बाड़मेर-जैसलमेर से टिकट मांगा था लेकिन उनको टिकट न देकर भाजपा ने कर्नल सोनाराम चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा। इस पर जसवंसिंह निर्दलीय चुनाव लड़े। यहां कर्नल सोनाराम चौधरी का नामांकन भरने पहुंची वसुंधराराजे ने कहा था कि यह मूंछ की लड़ाई है और जसवंतसिंह ने कहा था कि महारानियों के मूंछे कब से हुई?
जसवंत चुनाव हारे, मानवेन्द्र नाराज
जसवंतसिंह चुनाव हार गए। मानवेन्द्र उस वक्त भाजपा से शिव से विधायक थे। वे पार्टी के साथ नहीं रहे और अंदरूनी तौर पर पिता के साथ थे। मानवेन्द्र पांच साल तक मुख्यमंत्री और सरकार से नाराज रहे और पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया।
स्वाभिमान रैली निकाली
22 सितंबर को मानवेन्द्र ने नाराज राजपूतों व अन्य समर्थकों के साथ पचपदरा में स्वाभिमान रैली निकाली और यहां एेलान किया कि कमल का फूल मेरी भूल। 17 अक्टूबर को दिल्ली में मानवेन्द्र ने राहुल गांधी के आवास पर कांग्रेस ज्वाइन कर ली। इसके बाद उन्होंने कहा था कि विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनके कयास लोकसभा चुनावों को लेकर ही लगाए जा रहे थे।
मानवेन्द्र अभी दिल्ली में
मानवेन्द्रसिंह अभी दिल्ली में है। बताया जा रहा है कंाग्रेस की पहली सूची आने के बाद मानवेन्द्र और राहुल गांधी की मुलाकात हुई थी और टिकट वितरण को लेकर भी दोनों ने चर्चा की थी।