कहते हैं जज्बा उम्र का मोहताज नहीं होता। सुभाषनगर क्षेत्र के करगैना निवासी गोवर्धनलाल श्रीवास्तव भी उम्र के मोहताज नहीं। दो हजार तीन में विष्णु इंटर कॉलेज से गोवर्धन लाल इंग्लिश प्रवक्ता के पद से रिटायर हुए थे।जिंदगी आराम से गुज़र रही थी लेकिन पुलवामा कांड ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। आखिर एक दिन उन्होंने सरहद पर तिरंगा फहराने का फैसला कर लिया और वो हाथ में तिरंगा एकर बार्डर के लिए पैदल रवाना हो गए हैं।
गोवर्धन लाल श्रीवास्तव का कहना है कि वो शिक्षक रहे है और जो आदमी वतन का नहीं है वो कहीं का नहीं है। राष्ट्र धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है। हमने जब बच्चों को बताया है कि जिस देश में जन्म लिया बलिदान उसी पर हो जाओ। इस पर हर भारत के नागरिक को अम्ल करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीनियर सिटीजन की इस दिशा में की गई पहल के बाद युवा भी प्रभावित होंगे।