आचार्य पंडित मुकेश मिश्रा ने बताया कि शुक्र 26 अप्रैल को रात 11:58 बजे मेष राशि में प्रवेश कर चुके हैं। यहां पहले से ही सूर्य का गोचर हो रहा है और मेष राशि में प्रवेश करते ही शुक्र अस्त हो जाते हैं। अब 73 दिन बाद 6 जुलाई तक शुक्र अस्त रहेंगे, लेकिन 7 जुलाई को उदय होने के बाद भी 8 जुलाई तक बाल्यत्व दोष के दायरे में रहेंगे। इसके बाद ही 9 जुलाई से फिर शादियों का सीजन शुरू होगा। 6 मई को बृहस्पति भी वृष राशि में अस्त हो जाएंगे और 2 जून को उदय होंगे। यह दोनों ही ग्रह मांगलिक काम के लिए शुभ माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब ये दोनों ग्रह अस्त होते हैं तो मांगलिक काम नहीं किए जाते।
हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त में ही विवाह होते हैं। हर साल मई और जून में शादियों के कई मुहूर्त होते हैं, लेकिन इस साल गुरु व शुक्र तारा अस्त होने के कारण मई और जून में एक भी विवाह मुहूर्त नहीं है। शुक्र के अस्त होने का विचार खास तौर पर शादी के लिए किया जाता है, क्योंकि शुक्र को ज्योतिष शास्त्र में शादी का कारक ग्रह माना जाता है। यदि शुक्र के अस्त होने की स्थिति में शादी कर ली जाए तो वैवाहिक जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शुक्र के अस्त होने पर हिंदू समाज में शादियां वर्जित होती हैं।
आगे विवाह मुहूर्त की बात करें तो, 17 जुलाई को हरिशयनी एकादशी होगी। इस एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। यानी चार महीनों तक विवाह आदि मांगलिक कार्यों के मुहूर्तों पर विराम लग जाता है। क्योंकि, भगवान विष्णु चातुर्मास के लिए शयन मुद्रा में चले जाते हैं। इसलिए इन चार महीनों में विवाह आदि नहीं किए जाते। 12 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी से विवाह मुहूर्त फिर से शुरू होंगे और लगातार 14 दिसंबर तक चलेंगे। इस बीच 17 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू होने के कारण शादियों जैसे मांगलिक काम नहीं होंगे और 2 अक्टूबर को पितृ पक्ष खत्म होने के बाद ही शादियां दोबारा शुरू होंगी। कुल मिलाकर नवंबर में विवाह के सात मुहूर्त और दिसंबर मैं आठ विवाह के मुहूर्त रहेंगे।
जुलाई- 9, 11, 12, 13, 14, 15
नवंबर- 12,17 18, 23, 25, 27, 28
दिसंबर- 2, 3, 4, 6, 7, 10, 11, 14 ग्रह अस्त और उनका प्रभाव
साधारण शब्दों में जब कोई ग्रह कुछ विशेष अंशों के साथ सूर्य के निकट आ जाता है, तो उस ग्रह की चमक सूर्य के प्रकाश और तेज के सामने धीमी पड़ जाती है। इस कारण से वह आकाश में द्दष्टिगोचर नहीं होता तो उस ग्रह का अस्त होना कहलाता है।शुक्र भोग-विलास का नैसर्गिक कारक होने के कारण दाम्पत्य सुख का प्रतिनिधि होता है वहीं गुरु कन्या के लिए पतिकारक होता है। इन दोनों ग्रहों का अस्त होना दाम्पत्य के लिए हानिकारक माना गया है। इसलिए गुरु -शुक्र अस्त में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं करते।