करोड़ों खर्च के बाद भी खेत रहेगे सूखे
बारांPublished: Jun 15, 2019 08:17:04 pm
नाबार्ड की योजना से हाड़ौती संभाग के कोटा बूंदी बारां के किसानों के लिए 1274 करोड़ के कराए जा रहे कार्यों के बावजूद सम्पूर्ण किसानों को इसका लाभ मिलने में संशय है। राजस्थान व मध्यप्रदेश सरकारों की चंबल की दायीं व बायीं मुख्य नहरों की
करोड़ों खर्च के बाद भी खेत रहेगे सूखे
किसानों को नहीं मिलेगा पूरा लाभ
सिंचाई सघनता बढ़ाना प्राथमिकता
मांगरोल. नाबार्ड की योजना से हाड़ौती संभाग के कोटा बूंदी बारां के किसानों के लिए 1274 करोड़ के कराए जा रहे कार्यों के बावजूद सम्पूर्ण किसानों को इसका लाभ मिलने में संशय है। राजस्थान व मध्यप्रदेश सरकारों की चंबल की दायीं व बायीं मुख्य नहरों की साझा योजना के तहत विभिन्न नहरों व माइनरों के काम इन दिनों कराए जा रहे हैं। लेकिन आधी अधूरी योजना से कोटा संभाग के लाखों किसानों तक इसका लाभ नहीं पहुंच पाएगा। ऐसे में सरकार की यह योजना किसानों को अब भी जीवनदायिनी नहीं हो सकेगी।
चंबल परियोजना के सभापति सुनील गालव ने इस बाबत राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चेताया है। और कहा कि चंबल की सिंचित क्षेत्र की नहरों की वर्तमान डिजाइन से उक्त सिंचित क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में नहरों से अंतिम् छोर तक के किसानों को समय पर पानी नहीं मिल सकेगा। परियोजना निर्माण के समय बनाई योजना में इन नहरों की सिंचाई सघनता 55 प्रतिशत कर दी गई है। ऐसे में टेल के किसानों को पानी नहीं मिल पाएगा। उन्होंने सिंचाई सघनता को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की मांग सरकार से की है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी योजना के बाद अब बरसों तक नहरों के लिए बजट मिलना भी मुश्किल है। अभी खर्च की जा रही राशि से सम्पूर्ण किसानों को इसका लाभ नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा।
चुनावी संशोधन बेमानी
राजस्थान सिंचाई प्रणाली के प्रबंध में कृषकों की सहभागिता अधिनियम द्वारा प्रदत शक्तियों में संशोधन कर सरकार ने किसान के साथ उसके संपूर्ण परिवार को मतदाता सूची में शामिल किया है। इसके अलावा दामाद को भी मतदान के अधिकार में शामिल कर मतदाताओं की संख्या तो बढ़ा दी लेकिन सरकार की यह मंशा महज मतदाता बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं है। इसमें संशोधन किए जाने की तत्काल जरुरत है।