डाक का ढेर लग गया और छंटनी तक में कार्मिकों का पसीना निकल गया। इसके चलते शहरी सीमा व आस-पास की डाक के लिए संबंधितों को दूरभाष पर ही डाकघर आकर अपना पर्सल या अन्य डाक प्राप्त करने की निमंत्रण दे दिया गया। आवश्यक दस्तावेज व डाक कहीं इधर-उधर न हो जाए और बेवजह देरी न हो इसके चलते लोग डाक विभाग पहुंचे और अपने पार्सल व डाक प्राप्त की।
चार्ज पूरा काम अधूरा डाक विभाग की यह कार्यशैली सवालों के घेरे में है। लोगों का कहना है कि डाक बुक होने के साथ ही इसे पहुंचाने की जिम्मेेदारी विभाग की होती है इसके लिए वह तय शुल्क वसूलता है। इसके बावजूद लोगों को बुला-बुला कर डाक थमाई जा रही है यह उचित नहीं है।
कार्मिकों की कमी विभाग के पास वर्तमान में शहरी सीमा में 10 डाकिये कार्यरत हैं। इसमें से भी सोमवार को 7 ही उपस्थित होना बताया गया। इस पर भी पार्सल होने पर दिक्कतें बढ़ जाती हैं। स्टाफ की कमी के कारण इसका सीधा असर आमजन पर पढ़ रहा है।
इनका कहना है
हड़ताल के दौरान ट्रक के जरिए डाक चित्तौडग़ढ़ तक लेन-देन किया गया। पूरा प्रयास रहता है कि संबंधित की डाक घर तक पहुंचे। एड्रेस पूरा नहीं होने पर डाकघर बुलवाते हैं। हड़ताल के दौरान कार्य भार बढऩे से हो सकता है किसी क्षेत्र की एक ही डाक हो तो फोन किया हो। फिर भी परेशानी है तो घर तक डाक पहुंचाई जा रही है।
हड़ताल के दौरान ट्रक के जरिए डाक चित्तौडग़ढ़ तक लेन-देन किया गया। पूरा प्रयास रहता है कि संबंधित की डाक घर तक पहुंचे। एड्रेस पूरा नहीं होने पर डाकघर बुलवाते हैं। हड़ताल के दौरान कार्य भार बढऩे से हो सकता है किसी क्षेत्र की एक ही डाक हो तो फोन किया हो। फिर भी परेशानी है तो घर तक डाक पहुंचाई जा रही है।
खलीलउद्दीन शेख, पोस्टमास्टर बांसवाड़ा