इससे शहर में चर्चा रही कि पूर्व मंत्री धनसिंह रावत ने किस आधार पर बैठक शिक्षा सहयोगियों की बुलाई और उन्हें किस तरह का मार्गदर्शन किया गया। कायदे से विभागीय अधिकारी ही इस तरह की बैठकें बुला सकते हैं, लेकिन यहां एक नेता के बुलावे और समारोह को लेकर सोशल मीडिया पर दौड़े संदेश चर्चा के विषय बने रहे।
हालांकि इस बारे में चर्चा के प्रयास पर नौकरी और अपनी खैरियत के खातिर शिक्षा सहयोगियों में खामोशी रही। बावजूद इसके, लोकसभा चुनाव प्रचार के समय में इस तरह की गतिविधि से कई तरह के सवाल खड़े हो गए, जो अनुत्तरित हैं।
यह संदेश दौड़ा समूहों में
आयोजन से पहले शुक्रवार को मां-बाड़ी केंद्रों के शिक्षा सहयोगियों के समूहों में सदेश भेजा गया कि होली मिलन समारोह पूर्व मंत्री धनसिंह रावत द्वारा अपने निवास पर रखा गया है। इसमें सभी शिक्षा सहयोगी को सुबह 8 बजे उनके निवास पर उपस्थित होना अनिवार्य है। बांसवाड़ा ब्लॉक के 151 मां-बाड़ी व डे केयर, दोनों केंद्रों के शिक्षा सहयोगियों को उपस्थित होना अनिवार्य है। उनका रजिस्ट्रेशन स्वयं रावत करेंगे। जो शिक्षा सहयोगी उपस्थित नहीं होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी तो वे स्वयं जिम्मेदार होंगे।
शिक्षा सहयोगी संघ ने साधी चुप्पी
साथियों के समूह में धमकाकर न्यौता देकर बुलाने के बाद शिक्षा सहयोगी संघ ब्लॉक बांसवाड़ा के अध्यक्ष बांसवाड़ा तोलाचंद डिंडोर से चर्चा का प्रयास किया गया, तो उन्होंने फोन स्वीच ऑफ कर दिया। इससे दबाव सहज रूप से सामने आया।
मैंने हमेशा संगठन का काम किया है। हमारा सरकार के काम में हस्तक्षेप नहीं है। इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है, कानूनी परिपेक्ष्य के हिसाब से नहीं कह सकता कि सही है या गलत, लेकिन मां-बाड़ी केंद्रों के सहयोगी कॉन्ट्रेक्ट बेस के लोग हैं। आचार संहिता सरकारी मुलाजिम पर लागू होती है।
ओम पालीवाल, लोकसभा चुनाव संयोजक भाजपा
मेरे घर मेले जैसा माहौल रहता ही है। जब खुद चुनाव लड़ा, तब भी किसी को जबरन नहीं बुलवाया। होली का त्योहार है। लोग आए तो मिलना ही था। बाकी मेरा उनसे क्या काम। दबाव जैसी कोई बात नहीं है।
धनसिंह रावत, पूर्व मंत्री