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राजस्थान का रण : चुनावी चटकारे लेने हो तो चले आइए पान की दुकान, चाय की थड़ी या बुजुर्गों की महफिल में…

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बांसवाड़ाDec 03, 2018 / 02:22 pm

Ashish vajpayee

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राजस्थान का रण : चुनावी चटकारे लेने हो तो चले आइए पान की दुकान, चाय की थड़ी या बुजुर्गों की महफिल में…

बांसवाड़ा. इन दिनों लोगों को चुनाव का बुखार चढ़ा हुआ है। हर पल जुआं पर चुनाव की चर्चा। घर हो या चाय-पान की दुकान हर जगह चुनावी चर्चा का जोर है। लोगों की चर्चा में नेताओं के बड़े बोल हैे तो जीत हार दावे- प्रतिदावे हैं। बागियों के कारण बनते बिगड़ते समीकरण पर बहस चुनी जा सकती है। तो कहीं भीतरघात के कारण कौन किसे नुकसान पहुंचा रहा है इसके चर्चे भी हैं।
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बुजुर्गों की महफिल
नागरवाड़ा, बाहुबली कॉलोनी का संत भवन या फिर ठीकरिया की चौपाल। बुजुर्गों की इन महफिलों में चुनावी माहौल का रंग खूब गाढ़ा हो रहा है। कोई कांग्रेस की प्रत्याशी के पक्ष में बात रखता दिखाई देता है तो कोई बीजेपी के प्रत्याशी को लेकर राय पेश कर रहा है। आपस की इस बहस के बीच बुजुर्ग राजनीतिक रणनीतिकारों के हरेक फैसले की भी खूब समीक्षा कर रहे हैं। ठीकरिया के बुजुर्ग मांगीलाल रख और हीरालाल भट्ट का कहना है कि इस बार चुनावी माहौल काफी दिलचस्प है। वहीं, बाहुबली कॉलोनी के इंद्रमल जैन और रमेश पंचोरी बताते हैं कि इस बार चुनाव में समीकरण बदले हुए हैं। कौन जीत का सेहरा पहनेगा कह पाना मुश्किल है।
पान की दुकान
यदि किसी शहर में चुनाव का रुख और प्रत्याशियों की जीत की हवा को जानना हो तो पान की दुकान का रुख किया जा सकता है। इन दिनों बांसवाड़ा और कस्बों की पान की दुकानों पर भी चुनावी चर्चा का दौर बना हुआ है। बड़ोदिया की एक पान की दुकान के ग्राहक रूपजी सोलंकी चर्चा करते हुए बोले इस बार तो पार्टियों और प्रत्याशियों को लेकर खूब कन्फ्यूजन हैं। लेकिन यह तय है कि इस बार वोटिंग का प्रतिशत पूर्व की तुलना में काफी ज्यादा रहेगा। पास में ही खड़े राहुल सोनी और अर्जुन सोलंकी का मानना था कि मतदाता में कंफ्यूजन हो या न हो, लेकिन यह तय है कि बड़ी पार्टियों के बीच टक्कर तगड़ी रहेगी।
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चाय की थड़ी
चुनावी चर्चा का उबाल पान की दुकानों के बाद सर्वाधिक चाय की थडिय़ों पर देखा जा सकता है। यहां अक्सर युवा, कार्मिक और अन्य वर्ग चुनावी चर्चा करते दिख जाएंगे। गांधी मूर्ति स्थित चाय की थड़ी पर चुनावी चर्चा के दौरान प्रत्याशी की परफार्मेंस को ज्यादा तरहीज दी गई। दूसरी ओर युवा मयंक का मानना था कि कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर कार्य करने की जरूरत है मसलन निर्धन बच्चों की शिक्षा वगैरह वगैरह। साथ ही चुनाव के परिणाम को लेकर अन्य लोगों का मानना है कि ठंड बढने की बजाय चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है। और यह सरगर्मी चुनाव परिणाम को और भी रोचक बना दे। इसके अलावा लोगों ने मंशा व्यक्त कि जीतने वाला शहर और जिले में मूलभूल सुविधाओं के विकास पर बेहतर कार्य करे।

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