ये हुए बीमार
गोती पत्नी धीरजी (50), संतु पत्नी शंकर(30), मोहन पुत्र धारजी(40),मणि पत्नी रकमा( 30), कमलेश पुत्र कांति( 18) बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हुए। मयूर पुत्र शंकर(3), मंजू पुत्री मोहन(7), सायना पुत्री मोहन(5), माइनोर पुत्री शंकर (4), बापूलाल पुत्र शंकर (5), काली पुत्री शंकर(7), बन्टू पुत्र रकमा( 7),वसुंधरा पुत्री रकमा(5), सपना पुत्री रकमा(12) बीमार होने से अस्पताल में भर्ती।
पत्रिका पड़ताल: अंधविश्वास की फांस इधर भी, पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि गांव में एक दिन पूर्व कराया गया भोज जिससे खाकर बीमार होने की बात आ रही है वह अंधविश्वास की ही उपज था। पाचोर गांव निवासी कचरु डोडियार ने बताया कि गांव के एक युवक की पत्नी की तबीयत खराब रहती थी। चिकित्सकों से उपचार के बजाए वह पत्नी को भोपे के पास ले गया। कई दिनों तक उपचार के बाद भी ठीक नहीं होने पर भोपे ने युवक को सामूहिक भोज कराने की बात कही। इस कारण ही भोज रखा गया। जिले में ग्रामीणों के अंधविश्वास से जकड़े होने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व उपचार के नाम पर बच्चों को गर्म सलाख से दागने व भोपों के चक्कर में आना आमबात है। बावजूद इस पर कार्रवाई के लिए ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं।
कारण स्पष्ट नहीं मामले की पड़ताल को लेकर चिकित्सा विभाग की टीम ने देर शाम गांव पहुंच जानकारी जुटाने के प्रयास किए। लेकिन काफी मशक्कत के बाद भी कारण स्पष्ट नहीं हो पा रहे हैं।
डॉ. पृथ्वीराज मीणा, सीएमएचओ