कर्नाटक उर्जा निगम के प्रबंध निदेशक जी.कुमार नायक के अनुसार गर्मियों के दिनों में बिजली की मांग चरम सीमा पर पहुंच जाती है लेकिन इस वर्ष नवंबर के पहले सप्ताह में ही बिजली की मांग 11 हजार मेगावाट के पार पहुंच गई थी।
इतने बड़े पैमाने पर राज्य में बिजली आपूर्ति नहीं की गई थी। गत वर्ष गर्मियों के दिनों में सबसे अधिक 10,780 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति की गई थी। लेकिन इस बार सर्दियों में ही बिजली की मांग में काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई है। ऐसे में गर्मियों के दिनों में बिजली की मांग 12 हजार मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है।
लिंगनमक्की पनबिजली केंद्र में गर्मियों में ही सबसे अधिक बिजली उत्पादन किया जाता है। लेकिन अबकि बार नवंबर के तीसरे सप्ताह में ही यहां बिजली उत्पादन बढ़ाने की नौबत आ गई है। लिंगनमक्की बांध की जल भंडारण क्षमता 152 टीएमसी है। इस बांध के पानी से महात्मा गांधी, शरावती, लिंगनमक्की तथा गेरुसोप्पा 4 पनबिजली केंद्रों में 1,470 मेगावाट बिजली का उत्पादन संभव है।
इन चार इकाइयों में से शरावती पनबिजली केंद्र में सबसे अधिक 1035 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। शरावती पनबिजली केंद्र के मुख्य अभियंता एच.मोहन के अनुसार वर्ष 2016 में इस संयंत्र में आग लगने से बिजली उत्पादन ठप हो गया था।
इस हादसे के बाद 6 माह में 42 करोड़ रुपए खर्च कर इसका पुनर्निमाण किया गया था। अभी यहां 900 से 950 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। बिजली केंद्र में एक यूनिट बिजली के उत्पादन पर 24 पैसे खर्च होते है। एक मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 9 क्यूसेक पानी की आवश्यकता होती है।
लिंगनमक्की बांध से दस पाइप के माध्यम से तलकलले बांध को पानी बहाकर यहां बिजली का उत्पादन किया जाता है।