नई पीढ़ी के इस रॉकेट का वजन 640 टन है और यह 4 टन वजनी संचार उपग्रहों को पृथ्वी की भू-अंतरण कक्षा (जीटीओ) और 10 टन वजनी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा (लोअर अर्थ आर्बिट या एलईओ) में स्थापित करने की क्षमता रखता है जिसमें मानव युक्त अभियान भेजे जाते हैं। लेकिन, मानव मिशन लांच करने की क्षमता हासिल करने के लिए इस रॉकेट को कम से कम 10 लगातार सफल उड़ानें भरना जरूरी है। जीएसएलवी मार्क-3 इसरो द्वारा विकसित अन्य दो रॉकेटों पीएसएलवी और जीएसएलवी मार्क-2 की तुलना में सबसे छोटा मगर सबसे भारी है। इसकी ऊंचाई 43.49 मीटर है जबकि पीएसएलवी की ऊंचाई 44 मीटर और जीएसएलवी मार्क-2 की ऊंचाई 49 मीटर है। लेकिन, यह तीनों में सबसे अधिक वजनी रॉकेट है। जहां पीएसएलवी (एक्सएल) का वजन 320 टन है वहीं जीएसएलवी मार्क-2 का वजन 414 टन है। इसरो का पहला रॉकेट एसएलवी-3 का वजन 17 टन था और वह 22.7 मीटर ऊंचा था जबकि एएसएलवी की ऊंचाई 23.5 मीटर और वजन 39 टन था।
-6 7 वां प्रक्षेपण यान मिशन श्रीहरिकोटा से
-33 वां संचार उपग्रह जिसे इसरो ने बनाया
-23 वां प्रक्षेपण दूसरे लांच पैड से
-5 वां लांच साल 2018 का
-2 विकासात्मक उड़ान जीएसएलवी मार्क-3 का
-6 40 टन वजन रॉकेट का
-3423 किग्रा वजन उपग्रह का