scriptशाम 5.08 बजे जीसैट-29 के साथ उड़ान भरेगा जीएसएलवी मार्क-3 | GSLV mark III D02 lift off with GSAT 29 5.08 pm | Patrika News
बैंगलोर

शाम 5.08 बजे जीसैट-29 के साथ उड़ान भरेगा जीएसएलवी मार्क-3

क्रायोजनिक अपर स्टेज में तरल हाईड्रोजन भरने का काम भी पूरा हो चुका है। वरिष्ठ वैज्ञानिकोंं के साथ इसरो अध्यक्ष के. शिवन भी मिशन नियंत्रण कक्ष में मौजूद हैं।

बैंगलोरNov 14, 2018 / 04:52 pm

Rajeev Mishra

GSLV mark 3

शाम 5.08 बजे जीसैट-29 के साथ उड़ान भरेगा जीएसएलवी मार्क-३

बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) लगभग 26 घंटे की उलटी गिनती के बाद बुधवार शाम 5.08 बजे अत्याधुनिक स्वदेशी संचार उपग्रह जीसैट-29 का प्रक्षेपण तीसरी पीढ़ी के भू-स्थैतिक प्रक्षेपण (जीएसएलवी मार्क-3-डी-02) से करेगा। नव विकसित क्रायोजेनिक इंजन सी-25 से लैस जीएसएलवी मार्क-3 की यह दूसरी विकासात्मक उड़ान है लेकिन यह प्रक्षेपण काफी अहम है क्योंकि इसमें सफलता मिलने पर इसरो का तीसरा रॉकेट भी ऑपरेशनल हो जाएगा। साथ ही इससे चंद्रयान-2 मिशन लांच करने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। किसी रॉकेट के ऑपरेशनल होने के लिए कम से कम दो लगातार सफल उड़ान होना आवश्यक है।
आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड पर जीएसएलवी मार्क-3 से स्वदेशी संचार उपग्रह जीसैट-29 मिशन के प्रक्षेपण के लिए मंगलवार दोपहर 2.50 बजे उलटी गिनती शुरू हुई जो निर्बाध चल रही है। क्रायोजनिक अपर स्टेज में तरल हाईड्रोजन भरने का काम भी पूरा हो चुका है। मिशन निदेशक ने प्रक्षेपण की अनुमति दे दी है।
वरिष्ठ वैज्ञानिकोंं के साथ इसरो अध्यक्ष के. शिवन भी मिशन नियंत्रण कक्ष में मौजूद हैं।
दरअसल, चंद्रयान-2 मिशन पहले जीएसएलवी मार्क-2 से लांच करने की योजना थी जो ऑपरेशनल हो चुका है। लेकिन, नई योजना के मुताबिक चंद्र मिशन जीएसएलवी मार्क-3 से लांच किया जाएगा क्योंकि उसका वजन लगभग 600 किलोग्राम तक बढ़ चुका है। जीएसएलवी मार्क-3 की यह दूसरी विकासात्मक उड़ान है। पहली उड़ान में इस रॉकेट ने 3136 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह जीसैट-19 को कक्षा में सफलता पूर्वक स्थापित किया था।
सबसे छोटा मगर सबसे ताकतवर
नई पीढ़ी के इस रॉकेट का वजन 640 टन है और यह 4 टन वजनी संचार उपग्रहों को पृथ्वी की भू-अंतरण कक्षा (जीटीओ) और 10 टन वजनी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा (लोअर अर्थ आर्बिट या एलईओ) में स्थापित करने की क्षमता रखता है जिसमें मानव युक्त अभियान भेजे जाते हैं। लेकिन, मानव मिशन लांच करने की क्षमता हासिल करने के लिए इस रॉकेट को कम से कम 10 लगातार सफल उड़ानें भरना जरूरी है। जीएसएलवी मार्क-3 इसरो द्वारा विकसित अन्य दो रॉकेटों पीएसएलवी और जीएसएलवी मार्क-2 की तुलना में सबसे छोटा मगर सबसे भारी है। इसकी ऊंचाई 43.49 मीटर है जबकि पीएसएलवी की ऊंचाई 44 मीटर और जीएसएलवी मार्क-2 की ऊंचाई 49 मीटर है। लेकिन, यह तीनों में सबसे अधिक वजनी रॉकेट है। जहां पीएसएलवी (एक्सएल) का वजन 320 टन है वहीं जीएसएलवी मार्क-2 का वजन 414 टन है। इसरो का पहला रॉकेट एसएलवी-3 का वजन 17 टन था और वह 22.7 मीटर ऊंचा था जबकि एएसएलवी की ऊंचाई 23.5 मीटर और वजन 39 टन था।
मिशन एक नजर में
-6 7 वां प्रक्षेपण यान मिशन श्रीहरिकोटा से
-33 वां संचार उपग्रह जिसे इसरो ने बनाया
-23 वां प्रक्षेपण दूसरे लांच पैड से
-5 वां लांच साल 2018 का
-2 विकासात्मक उड़ान जीएसएलवी मार्क-3 का
-6 40 टन वजन रॉकेट का
-3423 किग्रा वजन उपग्रह का

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