दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले रणबांकुरों की साहसिक कहानियां और उनके अमर बलिदान को आम जनता तक ऑनलाइन पहुंचाने की यह कोशिश शहर के तीन पूर्व वायुसैनिक- विंग कमांडर एम. ए. अफराज, विंग कमांडर राजेंद्र प्रसाद और विंग कमांडर एल.के. चौबे कर रहे हैं।
पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में विंग कमांडर अफराज ने कहा कि वे चाहते हैं कि शहीदों की याद लोगों के दिलों में ताजा रहे और वे उनकी अदम्य वीरता से जुड़ी कहानियों से प्रेरणा लें। उन्होंने कहा कि आज तक देश में एक भी ऐसा शहीद स्मारक नहीं है,जो वर्ष 1947 से लेकर अब तक शहीद हुए सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करे। इंडिया गेट प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के लिए है तो अमर जवान ज्योति 1971 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि देता है। लेकिन, ऑनरप्वाइंट एक ऐसा ऑनलाइन स्मारक है जिसमें सभी शहीदों का उल्लेख है। कोई भी व्यक्ति कहीं से भी इस स्मारक पर आकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकता है और उनके बारे में लिखकर अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकता है।
डेढ़ साल तक किया शोध
शहीदों की याद में तैयार इस वेबसाइट को लांच करने से पहले अफराज ने अपने साथियों के साथ लगभग डेढ़ साल तक शोध कार्य किया। अफराज खुद ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिसके कई सदस्य यहां तक कि उनकी पत्नी ने भी सेना में सेवाएं दी हैं। ऐसे में शहीदों के लिए कुछ करने का ख्याल उनके मन में आना सहज है। उन्होंने कहा कि कई विकल्पों पर विचार करने के बाद उन्होंने ऑनलाइन स्मारक लांच करने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने कई स्रोतों से शहीदों के बारे में जानकारियां जुटाईं और कई स्रोतों से उनकी सत्यता की जांच की। शहीदों के बारे में पुख्ता और प्रामाणिक जानकारियां जुटाने के बाद ही उसे ऑनरप्वाइंट पर प्रकाशित किया, जो आज देखी जा सकती हैं।
लगभग 12 हजार शहीद सैनिकों के बारे में जानकारियां जुटाई जा चुकी हैं जिसमें से 10 हजार से ज्यादा शहीदों की कुर्बानी की कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं। वेबसाइट लांच हुए अभी तीन महीने ही हुए हैं, लेकिन लोकप्रियता ऐसी है कि 42 हजार लोग फॉलो कर रहे हैं। हाल ही करगिल दिवस पर किए गए पोस्ट को एक लाख लोगों ने देखा। काफी लोग ऑनरप्वाइंट के सोशल मीडिया पेज पर आते हैं। कई लोग वेबसाइट पर श्रद्धांजलि अर्पित करतेे हैं। वे देश के कोने-कोने तक शहीदों का संदेश पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि शहीदों के परिवारों को भी इससे जोड़ा गया है। उनका रिस्पांस बेहद उत्साह जनक है।
… ताकि जिंदा रहें उनकी कहानियां
दरअसल, शहीदों के परिजन चाहते हैं कि उनके लाड़ले की कहानियां जिंदा रहें। जब उनके बारे में कुछ लिखा जाता है तो उन्हें न केवल काफी अच्छा लगता है बल्कि यह सरकार की ओर से दी जाने वाली वित्तीय सहायता से कहीं ज्यादा बेशकीमती है जो उन्हें मिलती है। अफराज ने कहा कि ‘इस शहीद स्मारक पर शहीदों की हर सूचना मिलेगी।
यहां आइए और देखिए जो आजादी हमें बहुत मुश्किल से मिली है उसे बचाने के लिए हमारे जवानों ने कैसा त्याग किया। देश के लिए अपना सब कुछ लुटाने वालों के बारे में सोचे। देशभक्ति सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, यह हर नागरिक का दायित्व है कि वह शहीदों का सम्मान करे। मुझे विश्वास है कि ऑनरप्वाइंट लोगों में देशभक्ति की भावना जन्म देगी। क्योंकि यह वास्तविक और हृदय को छू लेने वाली ऐसी कहानियां हैं, जिसे पढक़र आंखों में आंसू आ जाएंगे।’ इस वेबसाइट के लिए तीनों मित्र मिलकर अब तक २५ लाख रुपए का निवेश कर चुके हैं। ८ कर्मचारियों की टीम इसके लिए काम करती है।