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बैंगलोर

रक्षा शोध, विकास की गति बढऩा जरूरी

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत ने कहा कि रक्षा क्षेत्र से संबंधित शोध एवं विकास से उत्पादन तक की गति और बढऩा चाहिए। ताकि तकनीकी को समयबद्ध तरीके से अपनाया जा सके।

बैंगलोरFeb 19, 2019 / 01:32 am

शंकर शर्मा

रक्षा शोध, विकास की गति बढऩा जरूरी

रक्षा शोध, विकास की गति बढऩा जरूरी

बेंगलूरु. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत ने कहा कि रक्षा क्षेत्र से संबंधित शोध एवं विकास से उत्पादन तक की गति और बढऩा चाहिए। ताकि तकनीकी को समयबद्ध तरीके से अपनाया जा सके। उन्होंने कम तीक्ष्णता वाले द्वंद्व के क्षेत्र में हथियारों के विकास की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया।


डा. सारस्वत सोमवार को यहां रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा एयरोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित १२वें एयरो इंडिया अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। इस बार के सेमिनार की थीम इमर्जिंग फ्रंटियर्स इन एयरोस्पेस टेक्रॉलजी है। इसमें एयरोस्पेस मटीरियल, स्टील्थ, हाइपरसोनिक्स, एआई, एयवी आदि जैसी उन्नत तकनीकी के बारे में गहन चर्चाएं होंगी।


सेमिनार के उदघाटन में रक्षा उत्पादन सचिव डॉ. अजय कुमार, इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन, डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. आरके त्यागी ने भी भाग लिया। डॉ अजय कुमार ने इसरो और डीआरडीओ की भूमिकाओं की सराहना करते हुए कहा कि इन्हें स्टार्टअप्स के साथ मिल कर काम करना चाहिए। डॉ. शिवन ने अपने उद्बोधन में डीआरडीओ के गगनयान अभियान में सहयोग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उम्मीद जताई कि दोनों संस्थाएं इसी तरह मिलकर काम करती रहेंगी।

रेस फॉर सेवन २४ फरवरी को
बेंगलूरु. आर्गनाइजेशन फॉर रेअर डिसीज इंडिया (ओआरडीआइ) की ओर से दुर्लभ रोगों से पीडि़त रोगियों की सहायता के लिए २४ फरवरी को शहर में ‘रेस फोर सेवन’ आयोजित की जाएगी। दौड़ में शहर के युवा, बच्चे भाग लेंगे।


ओआरडीआइ के संस्थापक निदेशक प्रसन्ना शिरोल ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि माल्या हॉस्पिटल के पीछे स्थित सेंट जोसेफ इंडियन हाइ स्कूल से प्रात: ६.३० बजे रेस फॉर सेवन शुरू होगी। उन्होंने बताया कि सात हजार दुर्लभ रोग पहचाने गए हैं। भारत में दुर्लभ रोगों से पीडि़त करीब ७० मिलियन रोगी हैं। २० भारतीय रोगियों में से एक को दुर्लभ रोग हैं। ५० प्रतिशत दुर्लभ रोगों से बच्चे प्रभावित है। वहीं ३० प्रतिशत रोगी पांच वर्ष की उम्र से पहले ही मारे जाते हैं। ८० प्रतिशत दुर्लभ रोग पीडि़तों में अनुवांशिक रोग पाया गया।

डॉ. मीनाक्षी भट ने बताया कि अनुसंधान के साथ साथ रोग का उपचार भी जरुरी है। ओआरडीआइ द्वारा जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। जागरूकता के अभाव में लोग सही समय पर सही उपचार नहीं ले पाते और रोग बढ़ता है। ऐसे रोगियों के सामने कई प्रकार की चुनौतियां रहती हैं।

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