जो शांत होते हैं वे साधु होते हैं
आचार्य महाश्रमण कोलार शहर पहुंचे
जो शांत होते हैं वे साधु होते हैं
बेंगलूरु. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण अपनी अहिंसा यात्रा के दौरान सोमवार को कोलार के बाहरी भाग कोंडाराजपल्ली स्थित नारायणी फंक्शन हॉल पहुंचे।
धर्मसभा में आचार्य ने कहा कि आदमी में कुछ ऐसी दुर्बलताएं होती हैं, जिसके कारण वह मोक्ष को नहीं प्राप्त कर सकता और न ही वर्तमान जीवन की समस्याओं का पार पा सकता है। इन दुर्बलताओं में पहला है आदमी की चण्ड प्रकृति। तेज गुस्सा करने वाला आदमी न तो मोक्ष को प्राप्त कर सकता है और न ही जीवन की समस्याओं से मुक्त हो सकता है। आदमी को अपने गुस्से को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए। जो शांत होते हैं, वे साधु होते हैं। हालांकि कभी साधु को भी गुस्सा आ जाए, किन्तु साधु के लिए गुस्सा त्याज्य है। धर्मसभा के बाद आचार्य महाश्रमण ने उपस्थित कोलारवासियों को अहिंसा यात्रा की संकल्पत्रयी प्रदान की। बालक समकित बांठिया, रंजीत नवलखा, बालिका नविता मूथा, खुशी नवलखा, अंकुश कुकलु, प्रीति बांठिया ने आचार्य के स्वागत में अपनी भावना प्रकट की। कोलार-महिला मण्डल व स्थानकवासी समाज, मूर्तिपूजक समाज की महिलाओं व कोलार से संबंधित बेटियों ने अपने-अपने गीतों के माध्यम से आचार्य के चरणों की अभ्यर्थना की।
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