जीवन और मृत्यु के बीच झूल रही गाय और उसकी बछिया पर अचानक पुल से गुजर रहे एक युवक की नजर पड़ी। युवक ने राहगीरों से गाय को बचाने की गुहार लगाई। गाय और उसके बच्चे को दलदल में फंसा देख तीन युवक गुड्डू, जगजीवन और डिप्टी नाम के तीन युवक उसे बचाने के लिये दलदल में ही कूद पड़े। बाद में कुछ और भी लोग साथ में आ गये। कड़ी मशक्कत के बाद युवकों ने गाय और उसके बछिया को दलदल से निकालकर पुनर्जीवन दिया और फिर सभी अपने कामपर चले गये। वही आसपास के इलाको में इन युवकों की बहादुरी की चर्चा जोरों पर है। डिप्टी ने बताया कि हम लोग कम के सिलसिले में बाजार जा रहे थे। जब कोडरी घाट पुल पर पहुंचे तो एक व्यक्ति द्वारा हाथ देकर रोक लिया और नदी के दलदल में गाय फंसे होने की सूचना दी। इस पर मैं और मेरे दोनो साथी बिना देर किया नदी की तरफ भागे तो देखा कि गाय और उसका बछड़ा दलदल से निकलने का हर संभव प्रयास कर रहे थे लेकिन उनका प्रयास असफल रहा। किसी तरह से हम तीनों ने कड़ी मशक्कत के बाद दोनों को बाहर निकाला क्योंकि गौमाता हमारे लिए पूजनीय है और एक माँ के समान है और माँ को बचाना एक कर्तव्य ही नही बल्कि धर्म है।